शिमला|
हिमाचल प्रदेश में मुख्य संसदीय सचिवों को कार्यभार मिले अभी एक हफ्ते का समय भी नहीं बीता है। इससे पहले ही कैबिनेट मंत्री और मुख्य संसदीय सचिव के बीच विरोधाभास पैदा होने शुरू हो गए हैं। मामला उद्योग विभाग से जुड़ा हुआ है। हिमाचल प्रदेश के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने यह स्पष्ट किया है कि विभाग कैबिनेट मंत्री होने के नाते उन्हें ही संभालना है। उद्योग विभाग के मुख्य संसदीय सचिव राम कुमार चौधरी ने नालागढ़ में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि सरकार उद्योग क्षेत्र में एक पॉलिसी लाने जा रही है। इस पॉलिसी के तहत सभी उद्योगों में भर्ती रोजगार कार्यालय के तहत होगी। इसमें हिमाचल प्रदेश के लोगों के लिए 80 फीसदी रोजगार सुनिश्चित किया जाएगा।
रामकुमार चौधरी ने कहा कि कांग्रेस सरकार जल्द ही इस बारे में फैसला लेगी। वहीं शुक्रवार को इस बारे में हिमाचल प्रदेश के उद्योग मंत्री ने स्पष्ट करते हुए कहा कि सरकार इस तरह की किसी भी योजना पर विचार नहीं कर रही है। निजी फैक्ट्रियों में रोजगार देना सीधे तौर पर कंपनी के हाथ में है। इसमें हिमाचल प्रदेश सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है। उन्होंने कहा कि इसे लेकर सरकार कोई विचार भी नहीं कर रही है।
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि समाचार पत्रों में खबर प्रकाशित होने के बाद कई मीडिया संस्थानों और उद्योग मालिकों के उन्हें फोन आए। इसलिए वो ये स्पष्ट करना चाहते हैं कि हिमाचल प्रदेश सरकार रोजगार में किसी हस्तक्षेप की पक्षधर नहीं हैं। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि वो नहीं जानते कि मुख्य संसदीय सचिव ने किस परिप्रेक्ष्य में यह बयान दिया,लेकिन उन्हें ये विभाग चलाना है और सरकार का ऐसा कोई विचार नहीं है।