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Breaking News: कांग्रेस के बागी विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, विधायकों की अयोग्यता बरकरार

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प्रजासत्ता ब्यूरो |
Breaking News Himachal: अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले हिमाचल कांग्रेस के 6 विधायकों  ( Congress Rebel Mlas ) को अयोग्य घोषित करने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई। इन विधायकों ने विधानसभा स्पीकर द्वारा अयोग्य ठहराने के आदेश को Supreme Court में चुनौती दी है।

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याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उनकी अयोग्यता को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर के अयोग्य ठहराने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों की याचिका पर नोटिस भी जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्पीकर कार्यालय और विधानसभा सचिवालय को यह नोटिस जारी किया गया है। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चार हफ्तों में जवाब मांगा है।

जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस प्रशांत मिश्रा की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की है। 6 बागी विधायकों में राजेंद्र राणा, सुधीर शर्मा, चैतन्य शर्मा, रवि ठाकुर, इंद्र दत्त लखनपाल और देवेंद्र कुमार शामिल हैं। बागी विधायकों की ओर से वकील हरीश साल्वे कोर्ट में मौजूद रहे थे। उन्होंने कहा, “हमें व्हिप नहीं मिली और चुनाव में क्रास वोटिंग हुई”। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इसपर रोक लगाने के लिए भी कहा।

इस पर जवाब देते हुए जस्टिस संजीब खन्ना ने कहा कि “हम स्पीकर के आदेश पर रोक नहीं लगा सकते हैं। यह संभव नहीं हैं लेकिन हम याचिका पर नोटिस जारी कर सकते हैं और जहां तक फ्रेश इलेक्शन का सवाल है वो हम देखेंगे की उसका क्या करना है लेकिन हम आपको वोट देने और विधान सभा का हिस्सा बनने की अनुमति नहीं देंगे। हम आपको भाग लेने की अनुमति नहीं देंगे। इस पर वकील साल्वे ने कहा, “लेकिन क्या हमें यह नहीं बताया जाना चाहिए कि चुनाव हो गए हैं और कोई और आ गया है। इस पर जस्टिस संजीव ने कहा, “इसकी हम जांच करेंगे। बता दें कि अब इस मामले में अगली सुनवाई मई में की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश की एक राज्यसभा सीट पर 27 फरवरी को चुनाव हुआ. कांग्रेस के छह बागी विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर बीजेपी प्रत्याशी हर्ष महाजन के पक्ष में वोट किया था। क्रॉस वोटिंग के बाद विधायक चंडीगढ़ स्थित होटल में चले गए थे उसके बाद बजट पेश होने के बाद उसके पास होने तक पार्टी की गतिविधियों में यह सभी सदन में उपस्थित नहीं थे, और साथ भी नहीं थे।

जिस पर हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने बतौर ट्रिब्यूनल चेयरमैन सुनवाई करते हुए दल बदल कानून का दोषी ठहराते हुए, सभी छह विधायकों को अयोग्य घोषित करते हुए उनकी सदस्यता रद्द कर दी थी। यह विधायक कटौती प्रस्ताव के साथ बजट पारण के दौरान व्हिप जारी होने के बावजूद सदन में उपस्थित नहीं हुए रहे थे।

इस संबंध में संसदीय कार्य मंत्री और कांग्रेस विधायक दल चीफ व्हिप हर्षवर्धन चौहान ने स्पीकर को शिकायत पत्र दिया था। इन सभी विधायकों के अयोग्य ठहराए जाने के बाद, बागियों की तरफ से इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। मामले में सुनवाई सोमवार को हुई है।

मामले से जुडी खास बातें 

  •  सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के छह बागी कांग्रेस नेताओं को अयोग्य ठहराने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई शुरू की। बागी नेताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने मामले को अदालत में पेश किया।
  • सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के छह बागी कांग्रेस नेताओं की उन्हें अयोग्य ठहराने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर संबंधित उत्तरदाताओं को नोटिस जारी किया।
  • सुप्रीम कोर्ट में हिमाचल प्रदेश के 6 बागी विधायकों के निलंबन मामले में कांग्रेस के बागी विधायकों की ओर से भाजपा वकील हरीश साल्वे और सत्यपाल जैन पेश हुए, जबकि हिमाचल सरकार की ओर से कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी कोर्ट में अपीयर हुए।
  • दलबदल विरोधी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 6 विधायकों को राहत देने से इनकार कर दिया। उनकी अयोग्यता पर कोई रोक नहीं है और उन्हें वोट देने या सदन की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति देने से इनकार कर दिया गया है
  • जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस प्रशांत मिश्रा की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की है। 6 बागी विधायकों में राजेंद्र राणा, सुधीर शर्मा, चैतन्य शर्मा, रवि ठाकुर, इंद्र दत्त लखनपाल और देवेंद्र कुमार शामिल हैं। बागी विधायकों की ओर से हरीश साल्वे कोर्ट में मौजूद रहे थे।

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