प्रजासत्ता ब्यूरो |
Cryptocurrency Fraud In Himachal: चोरी लूट हो या फ्रॉड आम आदमी अगर इसका शिकार होता है तो पुलिस के पास जाता है। शिकायत दर्ज होती है और जाँच होती है और सजा होती झी लेकिन अगर पुलिस वाले ही ठग्गी का शिकार हो जाए तो, फ्रॉड करने वालों पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी पुलिस की है। लेकिन हिमाचल प्रदेश में ही नकली क्रिप्टोकरेंसी से अथाह कमाई के चक्कर मे पुलिस वालों को ही करोंड़ों रुपय का चुना लग गया।
दरअसल, हिमाचल प्रदेश में नकली क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency Fraud) की एक फर्जी योजना में एक लाख से ज्यादा लोगों को शामिल किया गया। उनसे करोड़ो रुपए की ठगी की गई। करीब पांच साल तक ये फर्जीवाडा होता रहा लेकिन किसी को भनक तक नहीं हुई। यही नहीं हिमाचल के एक हजार से ज्यादा पुलिसवाले खुद इस काली कमाई के इस झांसे में फंस गए। खुलासाहोने के बाद अब पुलिस तेजी से इस पर कार्रवाई कर रही है।
जानकारी के अनुसार, इस क्रिप्टो स्कैम में हिमाचल पुलिस के करीब 1 हजार कर्मी फंसे हैं और उन्होंने भी इसमें निवेश किया था। साथ ही अन्य लोगों को भी निवेश के लिए प्रेरित किया। पुलिस के मुताबिक, क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी में जालसाजों ने कम से कम एक लाख लोगों को अपना शिकार बनाया है।
निवेशकों को आकर्षित करने के लिए घोटालेबाजों ने लोगों को दो क्रिप्टोकरेंसी ‘कोरवियो कॉइन’ (केआरओ) और ‘डीजीटी कॉइन’ में निवेश के लिए प्रेरित किया था। जालसाजों ने लोगों को कम समय में उच्च रिटर्न का वादा करके लुभाया और बड़ा नेटवर्क खड़ा किया. जल्दी रिटर्न के चक्कर में पुलिसकर्मी, शिक्षक और आम लोग भी आ गए।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक (Cryptocurrency Fraud) घोटाले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) के जांचकर्ताओं के मुताबिक, फर्जी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वाले अधिकांश पुलिस कर्मियों को करोड़ों रुपये का चूना लगा, लेकिन उनमें से कुछ ने भारी लाभ भी कमाया, योजना के प्रमोटर बन गए और इसके साथ अन्य निवेशकों को जोड़ा।
पुलिस के मुताबिक, क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी में जालसाजों ने कम से कम एक लाख लोगों को धोखा दिया है और 2.5 लाख आईडी (पहचानपत्र) पाए गए हैं, जिनमें एक ही व्यक्ति की कई आईडी शामिल हैं। इन लोगों ने शुरुआती निवेशकों को कम समय में उच्च रिटर्न का वादा करके लुभाया। उन्होंने निवेशकों का एक नेटवर्क भी बनाया, जिन्होंने अपने-अपने दायरे में श्रृंखला का और विस्तार किया।