Himachal News: हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले के घरवासड़ा गांव के निवासी और भारत माता के वीर सपूत दिलवर खान को उनकी वीरता और सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है।
ऊना जिले की बंगाणा तहसील के इस बहादुर जवान ने जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में आतंकियों के खिलाफ मुठभेड़ के दौरान देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। यह घटना 23 जुलाई 2024 को हुई, जब दिलवर खान ने अपनी टीम के साथ लोलाब घाटी में एक सर्च ऑपरेशन को अंजाम दिया।
साहस और बलिदान की मिसाल
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राइफल्स की 28वीं बटालियन के सिपाही दिलवर खान ने अपनी वीरता का परिचय देते हुए आतंकियों का सामना किया। उस समय उनकी उम्र मात्र 28 वर्ष थी। जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में आतंकियों के खिलाफ एक विशेष ऑपरेशन के दौरान, उन्होंने अदम्य साहस और अनुकरणीय नेतृत्व का प्रदर्शन किया, जिससे उनकी टीम को आतंकियों पर विजय प्राप्त करने में सफलता मिली। हालांकि, इस दौरान उन्होंने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।
परिवार का गौरव और देश का सम्मान
दिलवर खान का जन्म मार्च 1996 में हुआ था। उनके पिता कर्मदीन और मां भोलन बीबी अपने बेटे की शहादत पर गर्व महसूस करते हैं। भोलन बीबी ने कहा, “मेरे बेटे ने जो किया, वह हर मां का सपना होता है। हमें इस बात का गर्व है कि हमारे बेटे ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर किए।” उनका बलिदान पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
दिलवर खान की शहादत पर देश की श्रद्धांजलि
बता दें कि दिलवर खान की बहादुरी और बलिदान को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। उनकी शहादत को सम्मान देने के लिए उन्हें कीर्ति चक्र, भारत का तीसरा सर्वोच्च सैन्य सम्मान, मरणोपरांत प्रदान किया गया। यह सम्मान हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है और देश के लिए उनके योगदान को अमर बना देता है।
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