Auction of Himachal Bhawan in Delhi: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा दिल्ली में हिमाचल भवन (Himachal Bhawan) को कुर्क करने की खबरों पर हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम और विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर (HP CM and LoP Jairam Thakur) ने कहा, मौजूदा सरकार ने हिमाचल प्रदेश को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है और जिस तरह से हाइड्रो सेक्टर के नाम पर निवेश आने वाला था, नई नीति और जो लोग इस प्रोजेक्ट में काम कर रहे थे, वे सभी हिमाचल प्रदेश सरकार से नाखुश हैं और भारत सरकार के साथ हमारे जो भी प्रोजेक्ट हैं।
जयराम ठाकुर ने आगे कहा कि, चाहे वह एसजेवीएन (SJVN) के साथ हों, एनटीपीसी (NTPC) के साथ हों या एनएचपीसी के साथ जो समझौते हुए हैं, वे सब छोड़ रहे हैं। इन दो सालों में हिमाचल प्रदेश को जो नुकसान हुआ है, उससे राज्य पर काफी असर पड़ा है। हिमाचल प्रदेश में एक के बाद एक लिए गए फैसलों का क्रम देखा जाए तो ये हिमाचल प्रदेश के लिए बड़ा झटका हैं, यह बहुत दुःख की बात है।
#WATCH | On reports of Himachal Pradesh High Court attaching the Himachal Bhawan in Delhi, former HP CM and LoP Jairam Thakur says “The present government has completely destroyed Himachal Pradesh and the way the investment that was going to come in the hydro sector in the name… pic.twitter.com/SH2oqIJSSK
— ANI (@ANI) November 19, 2024
हिमाचल को नीलामी की स्थिति में लाई सुक्खू सरकार
जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार को अब पूर्व बीजेपी सरकार को कोसने का काम बंद कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को यह बताना चाहिए कि उन्होंने अपने दो साल के कार्यकाल में क्या किया है। जयराम ठाकुर ने कहा कि आज हिमाचल प्रदेश कांग्रेस सरकार के राज्य में नीलामी की स्थिति में आ पहुंचा है। जयराम ठाकुर ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि हाईकोर्ट में हिमाचल प्रदेश सरकार अपना पक्ष मजबूती के साथ नहीं रख सकी।
क्या है मामला हिमाचल भवन की नीलामी का मामला ( Himachal Bhawan Delhi Auction Controversy)
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय (Himachal Pradesh High Court) ने 18 नवंबर को दिल्ली स्थित हिमाचल भवन की नीलामी का आदेश दिया। यह आदेश राज्य सरकार द्वारा पावर कंपनी को देय राशि न चुकाए जाने पर जारी किया गया। खबरों के मुताबिक, यह राशि 400 मेगावाट के सेलि हाइड्रो प्रोजेक्ट (Seli Hydro Project) से संबंधित है, जो लाहौल-स्पीति के चेनाब नदी पर बनना है।
उच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी थी कि यदि सरकार राशि का भुगतान नहीं करती, तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि विद्युत विभाग के प्रधान सचिव इस मामले में तथ्यों की जांच करें, ताकि यह पता चल सके कि किन अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई।
इस मामले की शुरुआत उस आदेश से हुई थी, जिसमें पावर कंपनी को राज्य सरकार से 64 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि सहित सात प्रतिशत ब्याज वापस किए जाने का निर्देश था। हालांकि, सरकार ने इस आदेश को नजरअंदाज किया, जिसके परिणामस्वरूप यह राशि और ब्याज मिलाकर लगभग 150 करोड़ रुपये हो गई।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह राशि राज्य के खजाने से जाएगी, जिसका बोझ आम जनता को उठाना होगा। इस स्थिति में, कंपनी को अपने पैसे की वसूली के लिए हिमाचल भवन की नीलामी करने की अनुमति दी गई है।
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