Document

Himachal: हाईकोर्ट का फैसला संविदा सेवा( कांट्रेक्ट सर्विस) पेंशन और वार्षिक वेतन वृद्धि में शामिल होगी

Himachal Bhawan Delhi:, Himachal News, CPS Appointment Case, Himachal HIGH COURT, Himachal High Court Himachal High Court Decision Shimla News:

Himachal Pradesh News: संविदा सेवा यानी कांट्रेक्ट सर्विस को पेंशन और वार्षिक वेतन वृद्धि के लिए गणना करना आवश्यक है। यदि कोई कर्मचारी संविदा सेवा (कांट्रेक्ट सर्विस) के बाद नियमित होता है, तो उसकी संविदा अवधि को पेंशन लाभ और वेतन वृद्धि के लिए गिना जाना चाहिए। यह फैसला हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की जस्टिस ज्योत्सना रेवल दुआ की एकल पीठ ने सुनाया है।

kips1025

अदालत ने प्रतिवादियों को छ: सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता के अनुरोध पर विचार करने का आदेश दिया। पेंशन के प्रयोजनों के लिए प्रतिवादियों ने याचिकाकर्ता के संविदा कर्मचारी (यानी कांट्रेक्ट वर्कर ) के रूप में कार्यकाल पर विचार किया, हालांकि ऐसे संविदा कार्यकाल के आधार पर वेतन वृद्धि के दावों को खारिज कर दिया।

क्या है मामला?

उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता ने संविदा शिक्षक (टीजीटी) के रूप में सेवा दी थी, जिसे बाद में नियमित कर दिया गया। लेकिन पेंशन की गणना में उसकी संविदा सेवा को शामिल नहीं किया गया, जिससे व्यथित होकर  याचिकाकर्ता ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। याचिकाकर्ता ने CCS पेंशन नियम 1972 के तहत अपनी संविदा सेवा को पेंशन लाभ में जोड़ने की मांग की।

इस मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अदालत तर्क दिया कि संविदा सेवा के बाद भी वह नियमित सेवा में रहा, इसलिए वह पेंशन लाभ में वार्षिक वेतन वृद्धि का हकदार है। वहीँ दूसरी ओर राज्य ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता के नियमितीकरण से पहले रोजगार की प्रकृति संविदात्मक थी, इसलिए इसे वार्षिक वेतन वृद्धि के उद्देश्य से नहीं गिना जा सकता।

न्यायालय का फैसला:

अदालत ने कहा कि संविदा सेवा को पेंशन और वार्षिक वेतन वृद्धि में शामिल किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के कई पुराने फैसलों का हवाला देते हुए अदालत ने स्पष्ट किया कि संविदा सेवा को नियमित सेवा का हिस्सा माना जाएगा। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता की संविदा सेवा को पेंशन और वेतन वृद्धि के लिए गिना जाए। यह कार्य छह सप्ताह के भीतर पूरा करने का आदेश दिया गया। इस फैसले के साथ, अदालत ने रिट याचिका का निपटारा किया।

इन मामलों का दिया हवाला 

  • शीला देवी बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य: संविदा सेवा को पेंशन के लिए योग्य माना गया।
  • जगदीश चंद बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य: संविदा सेवा को वार्षिक वेतन वृद्धि के लिए योग्य बताया गया।
  • राम चंद बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य: राज्य की तदर्थ नियुक्तियों को गलत माना गया, जिससे कर्मचारी सेवा लाभों से वंचित हो गए।
  • सुनील दत्त बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य: पेंशन की गणना में वेतन वृद्धि को शामिल करने की आवश्यकता बताई गई।

SC ने भी हिमाचल प्रदेश सरकार को दिया था निर्देश

बता दें कि साल 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि पेंशन के लिए संविदा कर्मचारी यानी कांट्रेक्ट वर्कर के रूप में की गई सेवा को ध्यान में रखा जाएगा। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने भी संविदा कर्मचारी के रूप में पिछली सेवा को पेंशन के लिए ध्यान में रखने का आदेश दिया था। जिसके बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सीसीएस पेंशन नियम 1972 के नियम 2(जी) को आधार बनाते हुए दलील दी थी कि इसमें संविदा कर्मचारियों को पेंशन नियमों के दायरे से बाहर रखा गया है।

इस मामले पर सरकार का कहना था कि नियम 17 जो पेंशन गणना के लिए संविदा कर्मचारी के रूप में सेवा अवधि को शामिल करने की इजाजत देता है वो नियम 2 (जी) में दिए बहिष्करण खंड के कारण लागू नहीं होगा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की दलील खारिज करते हुए कहा कि अगर राज्य सरकार के मुताबिक इस नियम को पढ़ा जाएगा तो नियम 17 निरर्थक बन जाएगा। कोर्ट ने कहा कि यह केवल पेंशन प्रयोजनों के लिए है कि संविदा कर्मचारी के रूप में पिछली सेवा को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

Tek Raj

संस्थापक, प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया प्रजासत्ता पाठकों और शुभचिंतको के स्वैच्छिक सहयोग से हर उस मुद्दे को बिना पक्षपात के उठाने की कोशिश करता है, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं और जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नज़रंदाज़ करती रही है। पिछलें 8 वर्षों से प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया संस्थान ने लोगों के बीच में अपनी अलग छाप बनाने का काम किया है।

Latest Stories

Watch us on YouTube