प्रजासत्ता ब्यूरो | 19 सितम्बर
Himachal High Court took cognizance of the production of substandard medicines: हिमाचल प्रदेश के उद्योगों में निर्मित दवाए पिछले कुछ वर्षों से केन्द्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन के तय मानकों पर सही नहीं उतर पा रही है। जिसको लेकर केन्द्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (Central Drugs Standard Control Organization) समय समय पर ड्रग जारी करता रहा है। लेकिन दवा उद्योगों की इसकी गुणवत्ता में सुधार नहीं कर रहे हैं। वहीँ इस मामले पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने कड़ा संज्ञान लिया है।
बता दें कि घटिया दवाईयों (Substandard Medicines) के उत्पादन पर दैनिक समाचार पत्र में छपी एक खबर पर संज्ञान लेते हुए प्रदेश हाईकोर्ट जनहित में याचिका दर्ज की है। इस मामले सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि दवा परीक्षण प्रयोगशाला में नियमित कर्मचारी की तैनाती क्यों नहीं की गई है जिसे इस मामले में जिम्मेवार ठहराया जा सके।
घटिया दवाईयों के उत्पादन पर Himachal High Court ने लिया संज्ञान
मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 16 नवंबर को निर्धारित की है। अदालत ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि क्या दवा उत्पादकों ने निजी दवा प्रयोगशाला से परीक्षण करवाया है या नहीं। यदि परीक्षण के दौरान दवाईयां घटिया पाई गईं तो क्या राज्य सरकार को सूचित किया गया या नहीं। इसके आलावा अदालत ने निजी दवा प्रयोगशालाओं के खिलाफ की कार्रवाई के बारे में भी शपथपत्र मांगा है।
उल्लेखनीय है कि पीपल फोर रिस्पांसिबल गवर्नेंस (People for Responsible Governance) संस्था ने अदालत को बताया कि वर्ष 2014 में उद्योग विभाग की ओर से 3.50 करोड़ रुपये प्रयोगशाला के निर्माण के लिए खर्च किए हैं। इसके बावजूद अभी तक इसे चालू नहीं किया गया है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने 12वीं पंच वर्षीय योजना के तहत 30 करोड़ रुपये की राशि जारी की थी। इस मामले में जानकारी मिलने के बाद अदालत ने राज्य सरकार से प्रयोगशाला के निर्माण के बारे में भी ताजा स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।
बता दें कि राष्ट्रीय औषधि नियामक (National Drug Regulator) और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने हिमाचल के उद्योगों में निर्मित दवाइयों के नमूनों को गुणवत्ता के मानकों पर खरी नहीं उतरने पर घटिया घोषित किया था। जबकि कुछ नमूने को नकली पाया गया। नकली पाई जाने वालों में पशु चिकित्सा दवा भी शामिल है। इन घटिया और नकली दवाइयों के निर्माता बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़, कालाअंब के साथ-साथ पांवटा साहिब के औद्योगिक समूहों में स्थित हैं।
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