शिमला |
Himachal Politics : हिमाचल में बागी हुए विधायकों पर दल-बदल कानून में राज्य सरकार की ओर से की दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा गया। इस बारे में जानकारी देते हुए हिमाचल के विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि दलबदल विरोधी कानून के तहत कांग्रेस के संसदीय कार्य मंत्री ने एक याचिका दी थी। हमने नोटिस भेज दिया है। एक सुनवाई अभी समाप्त हुई है, दोनों पक्षों ने विस्तार से बात की है। मैंने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
इससे पहले बागी हुए छह कांग्रेस विधायकों राजेंद्र राणा, सुधीर शर्मा, चैतन्य शर्मा, देवेंद्र कुमार भुट्टो, इंद्र दत्त लखनपाल और रवि ठाकुर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता और भाजपा नेता सतपाल जैन विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया के समक्ष पेश हुए। सरकार के अधिवक्ता भी उनके समक्ष उपस्थित हुए। प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि दोनों पक्षों को विस्तृत रूप से सुना है। उसके बाद उन्होंने अपने फैसले को अपने पास सुरक्षित रखा है।
वहीँ भाजपा की ओर से पेश हुए वकील सतपाल जैन ने मीडिया से कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने सुबह छह विधायकों को दल-बदल कानून के तहत कारण बताओ नोटिस दिया था। डेढ़ बजे उन्होंने पेश होना था तो उस वक्त छहों विधायकों की ओर से वह पेश हुए। उन्होंने लिखकर उनसे निवेदन किया कि याचिका की प्रति नहीं मिली है।
उन्होंने कहा कि केवल नोटिस मिला है। इस सात दिन का वक्त दिया जाए, जिससे कि वे सभी अपना जवाब दायर कर सकें। विधानसभा की ओर से बनाए गए एंटी डिफेक्शन रूल-7 के तहत जिसके खिलाफ याचिका आती है, उसे जवाब देने के लिए सात दिन का वक्त देने का प्रावधान है। उन्होंने डेढ़ बजे लिखकर दरख्वास्त दी।
उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने कोई भी ऐसा व्यवहार नहीं किया, जो इस नियम के तहत आता हो। डेढ़ बजे सुनवाई शुरू हुई। चार बजे रिकॉर्ड का निरीक्षण करने को कहा। याचिका की प्रति बहस खत्म होने के बाद दी गई है। उन्हें कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं को बात करने का अधिकार है। उन्होंने अपनी याचिका को रिजर्व किया है। उन्हें पूरा विश्वास है कि स्पीकर पद की गरिमा का ध्यान रखेंगे। राज्यसभा चुनाव में कौन कहां वोट डालता है, इसके आधार पर डिस्कवालिफिकेशन नहीं किया जा सकता है।
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