शिमला ब्यूरो |
CPS Appointment in Himachal Pradesh: हिमाचल में कोई भी मुख्य संसदीय सचिव (CPS) मंत्रियों जैसी सुविधाएं नहीं ले पाएगा। हाईकोर्ट ने यह अंतरिम आदेश बुधवार को CPS केस की सुनवाई के दौरान दिए। भाजपा के 11 विधायकों ने हिमाचल हाईकोर्ट में स्टे एप्लिकेशन डाली गई थी, जिसमे आग्रह किया गया कि CPS को मंत्रियों का काम करने से रोका जाए। इस पर हाईकोर्ट के जस्टिस संदीप शर्मा और जस्टिस विवेक ठाकुर ने फैसला सुनाया है।
उल्लेखनीय है कि न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ के समक्ष मंगलवार को भी इस मामले पर सुनवाई हुई थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस पूरी होने के पश्चात निजी तौर पर बनाए प्रतिवादियों की ओर से भी बहस हुई।
CPS Appointment मामले में भाजपा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सतपाल जैन ने मीडिया को यह जानकारी दी। सीपीएस मामले पर हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई। जानकारी के अनुसार सरकार की ओर से नियुक्त मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) न तो मंत्रियों की तरह काम करेंगे और न ही वे मंत्रियों वाली सुविधाओं को लेंगे। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने मामले में अंतरिम आदेश जारी किए हैं। अगली सुनवाई 12 मार्च को होगी। दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने ये आदेश पारित किए। मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) की नियुक्ति को चुनौती देने वाली भाजपा विधायक सतपाल सत्ती और अन्य की ओर से दायर याचिका पर हाईकोर्ट की ओर से आदेश दिए गए हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता सतपाल जैन ने कहा कि हमने अपनी याचिका में कहा है कि सीपीएस का पद (CPS Appointment) का संविधान में कोई प्रावधान नहीं है और कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ़ इंडिया के आर्टिकल 164 के अंतर्गत प्रदेश में 15% से ज्यादा मंत्रिमंडल नहीं बनाया जा सकता जो कि हिमाचल में 12 है, पर सीपीएस की घोषणाओं के बाद यह संख्या 17 18 पहुंच जाती है।
उन्होंने बताया कि हमने उच्च न्यायालय में एक स्टे एप्लीकेशन प्रस्तुत की थी जिसमें हमने निवेदन किया था कि सीपीएस के कार्यों पर रोक लगाई जाए। आज इस एप्लीकेशन पर निर्णय आया है और हाईकोर्ट ने सीपीएस को मंत्रियों के दर्जे पर काम और सुविधा लेने पर रोक लगाई है। अब इनके 6 सीपीएस को मंत्री के दर्जे की कोई सुविधा प्राप्त नहीं होगी। बाकी कोर्ट के फैसले में कल तक सारी चीज़ें सामने आ जाएगी, इनको अपनी सभी सुविधाओं को छोड़ना पड़ेगा उन्होंने कहा कि इस केस को लेकर अगली सुनवाई 12 मार्च को होगी।
उन्होंने कहा कि हमने विमल रॉय असम प्रांत, उसके उपरांत मणिपुर प्रांत और पंजाब प्रांत की जजमेंट भी हाई कोर्ट के सामने प्रस्तुत की है जिसमें सीपीएस के निर्णय के खिलाफ फैसला सुनाया गया है।
क्या है मुख्य संसदीय सचिवों (CPS Appointment) की नियुक्ति का मामला
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में मौजूदा वक्त में छह मुख्य संसदीय सचिव हैं। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ विधायक सतपाल सिंह सत्ती के साथ अन्य 11 बीजेपी विधायकों ने इस नियुक्ति को चुनौती दी है। भाजपा विधायकों के साथ पीपल का रिस्पांसिबल गवर्नेंस संस्था ने भी इसी मामले में याचिका दायर की है। उच्च न्यायालय दोनों याचिकाओं को क्लब कर सुनवाई कर रहा है। हिमाचल प्रदेश सरकार में छह मुख्य संसदीय सचिव बनाए गए हैं। इनमें कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, पालमपुर से आशीष बुटेल, बैजनाथ से किशोरी लाल, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, दून से राम कुमार और अर्की से संजय अवस्थी शामिल हैं।
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