Himachal News: हिमाचल प्रदेश में सरकार और प्रशासन के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने प्रदेश सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि सुक्खू सरकार अपने अजीबो-गरीब फैसलों से प्रदेश का नुकसान कर रही है।आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को लेने से इनकार कर सरकार ने विकास कार्यों में बाधा डालने का काम किया है।
दागदार अधिकारियों को पसंद, योग्य अफसरों से ऐतराज!
जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री एक ओर दागदार अधिकारियों को अपने सलाहकार मंडल में जगह देते हैं, वहीं दूसरी ओर प्रदेश के विकास में योगदान देने वाले अफसरों को स्वीकार करने से इनकार कर रहे हैं। सवाल यह उठता है कि मुख्यमंत्री प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों से इतना ऐतराज क्यों रखते हैं?क्या वे प्रदेश का संचालन सिर्फ अपने मित्रों और खास लोगों के माध्यम से करना चाहते हैं? अगर आज सरकार नए अधिकारियों को नहीं लेगी, तो कल प्रदेश को उनकी जरूरत पड़ने पर कौन काम करेगा?
संविधान की अवहेलना कर रही सरकार
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि भारत की संघीय व्यवस्था केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय पर आधारित है, लेकिन सुक्खू सरकार नियमों का पालन करने के बजाय उन्हें तोड़ने में विश्वास रखती है। जब केंद्र सरकार नियमों के तहत अधिकारियों की नियुक्ति कर रही है, तो प्रदेश सरकार उन्हें लेने से इंकार कैसे कर सकती है? सरकार की यह नीति न सिर्फ विकास विरोधी है, बल्कि **संविधान की भावना के खिलाफ भी है।
सलाहकारों की फौज, मित्रों पर खर्च, अफसरों से परहेज क्यों?
जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अपने मित्रों और नजदीकी लोगों पर करोड़ों रुपए खर्च कर रहे हैं, लेकिन जरूरी प्रशासनिक नियुक्तियों से बच रहे हैं। सरकार ने नियम विरुद्ध सीपीएस बनाए, सलाहकारों की फौज खड़ी की, मित्रों को कैबिनेट रैंक दी और वकीलों पर करोड़ों रुपए बहा दिए। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जिस अधिकारी पर विपक्ष में रहते मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार के आरोप लगाते थे, आज वही सरकार चला रहे हैं।
देश में पहली बार हुआ ऐसा हास्यास्पद फैसला
जयराम ठाकुर ने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने कहा है कि उसे अखिल भारतीय सेवाओं से अधिकारी नहीं चाहिए। जब हर राज्य IAS और IPS अधिकारियों की मांग करता है ताकि प्रशासनिक कार्य सुचारू रूप से चलें, तब हिमाचल के मुख्यमंत्री उन्हें लेने से इनकार कर रहे हैं। यह हास्यास्पद और शर्मनाक कदम है।
नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री को चेतावनी देते हुए कहा कि वे व्यवस्था को ध्वस्त करने की इस राजनीति को तुरंत बंद करें और प्रदेश के हित में सोचें। प्रशासनिक पदों पर योग्य अधिकारियों की नियुक्ति न होने से सरकार खुद असफल हो जाएगी और जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
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