धर्मशाला |
Himachal News: हिमाचल विधानसभा के शीत सत्र (Himachal Assembly Session) के दौरान स्टोन क्रशर (stone crusher) बंद करने के मुद्दे पर सदन गरमाया। विपक्षी विधायकों ने क्रशर बंद करने पर सरकार को घेरा। जिला कांगड़ा, मंडी, कुल्लू और हमीरपुर में ब्यास नदी पर बंद हुए क्रशरों को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्षी में नोकझोंक हुई। भाजपा विधायकों ने सदन में नारेबाजी करने के बाद सदन से वाकआउट करके बाहर चले गए।
वहीं इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में नियमों को पूरा करने वाले क्रशर ही चलेंगे। पूर्व की भाजपा सरकार में प्रदेश मं 100 करोड़ रुपये से अधिक का खनन घोटाला हुआ है। वर्तमान सरकार ने केवल उन क्रशरों को बंद किया गया जो नियमों को पूरा नहीं करते। विपक्ष के नेता क्रशर के मामले पर बेवजह हंगामा कर रहे हैं।
सीएम सुक्खू ने कहा कि विपक्ष के हंगामे के पीछे की वजह भी हम जानते हैं, हम इस मामले में नहीं पड़ना चाहते। पूर्व सरकार के समय प्रदेश में 22 माइनिंग लीज सात करोड़ रुपये प्रति वर्ष के हिसाब से आवंटित की गई, जबकि माइनिंग प्लान के हिसाब से यह प्रति वर्ष 24 करोड़ बनता था, यही तो घोटाला था। सरकार पूर्व में हुई इस माइनिंग ऑक्शन की जांच करवाएगी।
सीएम सुक्खू ने कहा कि विपक्ष जिस तरह से क्रशर के मामले को उठा रहा है, उसे लगता है कि उन पर किसी व्यक्ति विशेष का दबाव है। वाटर सेस के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड भी यही कानून अपना रहा है, लेकिन वहां सरकारी उपक्रम सरकार के खिलाफ किसी भी कोर्ट में नहीं गए।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने स्टोन क्रशरों पर और सख्ती करने के संकेत देते हुए कहा कि सरकार इस बात पर भी विचार कर रही है कि बजरी के रेट उत्पादन की लागत के हिसाब से तय किए जाएं, जिससे जनता पर बोझ न पड़े। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व में कांगड़ा में माइनिंग प्लान कुछ और था। इससे सरकार को रॉयल्टी नहीं मिल पाई। इससे राजस्व को हुए नुकसान की भी जांच की जाएगी