नई दिल्ली |
Gaggal Airport Expansion Project: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित गग्गल हवाई अड्डे के विस्तार परियोजना ( Gaggal Airport Expansion Project ) से संबंधित एक याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सुप्रीमकोर्ट सोमवार को सहमत हो गया। शीर्ष अदालत ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के 9 जनवरी के उस आदेश पर 22 जनवरी को रोक लगा दी थी, जिसने परियोजना को रोक दिया था।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एक वकील की इस दलील पर गौर किया कि यदि संविधान पीठ बैठती है और 27 फरवरी के लिए सूचीबद्ध अन्य मामलों पर विचार करती है तो हो सकता है कि यह मामला मंगलवार को सुनवाई के लिए ना आये।
पीठ ने कहा, “तब हम (गग्गल हवाईअड्डा विस्तार परियोजना से संबंधित) मामले को या तो शुक्रवार (एक मार्च) या सोमवार (चार मार्च) को सूचीबद्ध करेंगे।”
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने गग्गल हवाई अड्डा विस्तार ( Gaggal Airport Expansion Project ) प्रभावित सोसाइटी वेल्फेयर कमेटी के कुछ सदस्यों द्वारा दायर याचिका पर गौर करते हुए हवाईअड्डा विस्तार परियोजना पर रोक लगा दी थी।
उच्च न्यायालय ने राहत और पुनर्वास प्रक्रिया, अधिग्रहण के लिए अधिसूचित भूमि पर कब्जा लेने और उस पर संरचनाओं के ध्वस्तीकरण सहित मामले के सभी पहलुओं पर 29 फरवरी तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था, जब मामले की अगली सुनवाई होगी।
शीर्ष अदालत ने हिमाचल प्रदेश सरकार, भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की दलीलों पर गौर किया और उच्च न्यायालय के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी।
सरकारी प्राधिकारियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के तीन हवाई अड्डों में से कांगड़ा एकमात्र हवाई अड्डा है जहां विस्तार की संभावना है।
उन्होंने कहा कि महाधिवक्ता के बयान के बावजूद कि न तो कोई ध्वस्तीकरण किया जाएगा और न ही किसी को बेदखल किया जाएगा, उच्च न्यायालय के आदेश ने सब कुछ रोक दिया है।
पीठ ने कहा, हम नोटिस जारी करेंगे और हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाएंगे।’ पीठ ने कहा कि हालांकि, उच्च न्यायालय लंबित याचिका पर निर्णय करने के लिए आगे बढ़ सकता है।
उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका में कहा गया था कि चूंकि सरकार इस मामले पर पुनर्विचार कर रही है, इसलिए राज्य को अधिग्रहण के लिए अधिसूचित भूमि पर कब्जा करने या उस पर संरचनाओं को ध्वस्त करने या राहत और पुनर्वास प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ने की अनुमति देना उचित नहीं होगा।