प्रजासत्ता न्यूज़ डेस्क |
Himachal News: देश की सर्वोच्च अदालत ने निविदा प्रक्रिया में अनियमितता बरतने के लिए हिमाचल प्रदेश आवास एवं शहरी विकास प्राधिकरण (हिमुडा) पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। 2 अप्रैल को दिए गए फैसले में जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मिथल की पीठ ने कहा कि शिमला में एक वाणिज्यिक परिसर की निविदा के संबंध में प्राधिकरण ने एक निजी कंपनी के साथ मिलकर हाईकोर्ट के आदेश की अनदेखी की और प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा निविदा प्रक्रिया में की गई अनियमितताओं और अवैधताओं को कवर करने के लिए कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया।
हाईकोर्ट का फैसला पलटते हुए जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने कहा कि हिमुडा ने 13 वर्ष की निविदा प्रक्रिया में की गई अनियमितताओं और अवैधताओं को कवर करने के लिए कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करके निजी संस्था के साथ मिलकर हाईकोर्ट को धोखा दिया। हिमुडा के अधिकारी किसी भी तरह से अदालत के आदेश की आड़ में अनुबंध प्राप्त करने के लिए निजी संस्था/प्रतिवादी नंबर 2 को लाभ पहुंचा रहे हैं।
सर्वोच्च अदालत की पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया, जिसने प्रतिवादी नंबर 2/वासु कंस्ट्रक्शन को अनुबंध को मंजूरी दे दी, क्योंकि हाईकोर्ट का आदेश बिना सोचे समझे और स्वतंत्र समिति द्वारा दर्ज किए गए निष्कर्षों को दरकिनार करने के लिए कोई ठोस कारण बताए बिना पारित किया गया था।
इस प्रकार, अदालत ने हिमुडा को फैसले की तारीख से दो सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन के साथ 5 लाख रुपये जमा करने का निर्देश दिया। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि हिमुडा कानून के अनुसार और कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद नई निविदा प्रक्रिया शुरू करने के लिए स्वतंत्र होगा।
बता दें कि दिसंबर, 2018 में हिमुडा ने शिमला में वाणिज्यिक परिसर के निर्माण के लिए वासु कंस्ट्रक्शन को आशय पत्र (एलओआई) दिया। हालांकि, प्रक्रियात्मक अनियमितताओं की शिकायतों और बाद में असफल बोलीदाताओं द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष शुरू की गई मुकदमेबाजी के कारण आशय पत्र (एलओआई) को रद्द करना पड़ा।
हिमुडा द्वारा निविदा प्रक्रिया रद्द करने से व्यथित प्रतिवादी नंबर 2/वासु कंस्ट्रक्शन ने हिमुडा की कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष हिमुडा ने कहा कि उसे प्रारंभिक निविदा प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ने में कोई आपत्ति नहीं है, यदि प्रतिवादी नंबर 2/वासु कंस्ट्रक्शन उन्हीं नियमों और शर्तों पर काम निष्पादित करने के लिए तैयार था, जिन पर शुरुआत में सहमति हुई थी।
वासु कंस्ट्रक्शन को ठेका देने पर हिमुडा की अनापत्ति के आधार पर हाईकोर्ट ने मामले का निपटारा कर दिया। तदनुसार, हिमुडा और वासु कंस्ट्रक्शन के बीच अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए। इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश पर सवाल उठाते हुए अपीलकर्ता ने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की।
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