शिमला |
Probation of Offenders Act: हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाने के दोषी को अपराधी परिवीक्षा अधिनियम का लाभ देने से इनकार कर दिया। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि धारा 304-ए आईपीसी के तहत दंडनीय लापरवाही से मौत का दोषी व्यक्ति को इस अधिनियम का लाभ नहीं दिया जा सकता है।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में राज्य बनाम सुभाष चंद मामले में जस्टिस राकेश कैंथला (Justice Rakesh Kainthala) ने आवेदन पर निर्णय लेते समय कीं यह टिप्पणी की है। जिसके तहत आवेदक/दोषी अपराधी परिवीक्षा अधिनियम, 1958 की धारा 4 के तहत अपनी रिहाई/परिवीक्षा की मांग कर रहा था। आवेदक की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट पीएस गोवर्धन ने आवेदक की तरफ से कई दलीलें दी।
सीनियर एडवोकेट ने सरकारी रोजगार और सुधार के अवसर की आवश्यकता का हवाला देते हुए परिवीक्षा के लिए पूरी लगन से तर्क दिया। उन्होंने उन उदाहरणों पर भरोसा किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) और हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले भी शामिल थे, जो समान परिस्थितियों में परिवीक्षा देने का समर्थन करते थे। जबाब में राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता जीतेन्द्र शर्मा ने याचिका का विरोध करते हुए लापरवाही से गाड़ी चलाने से संबंधित अपराधों की गंभीरता और रोकथाम की आवश्यकता पर जोर दिया।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस राकेश कैंथला ने अपने आदेश में दलबीर सिंह बनाम हरियाणा राज्य (2000) 5 एससीसी 82, मामले में सुप्रीम कोर्ट के रुख व ठाकुर सिंह बनाम पंजाब राज्य (2003) 9 एससीसी 208 और पंजाब राज्य बनाम बलविंदर सिंह (2012) मामले मे लापरवाह ड्राइविंग से संबंधित मामलों में परिवीक्षा (Probation of Offenders Act) देने के खिलाफ स्थापित कानूनी स्थिति का भी संदर्भ दिया।
इन मामलों में कोर्ट के आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि तेज गति से या लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण घातक दुर्घटना होने वाले मामलों में अपराधी परिवीक्षा अधिनियम लागू नहीं किया जा सकता है। इन टिप्पणियों के आलोक में, पीठ ने आवेदन खारिज कर दिया और अपराध की मात्रा पर आरोपी की सुनवाई के लिए मामले को 14 दिसंबर 2023 को सूचीबद्ध किया।
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