प्रजासत्ता ब्यूरो|
पर्यटक नगरी कसौली (Tourist City Kasauli )की खूबसूरती को चार चाँद लगाने वाली दशकों पुराना तिब्बती मार्केट (Tibetan Market Kasauli), जिसे पाइन मॉल (Pine Mall Kasauli) के रूप में जाना जाता है। अब वह तिब्बती मार्केट इतिहास बन जाएगी। बता दें कि पर्यटन नगरी कसौली के माल रोड पर 90 के दशक से स्थापित तिब्बती मार्केट पर्यटकों को पसंदीदा थी, जहां खानपान (food), एंटीक वुड आइटम्स (Antique Wood Items) व कपड़ों की कुल 21 दुकानें थी।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय (Himachal Pradesh High Court )के आदेश के बाद जिन्हें अब हटा दिया है। दरअसल कसौली निवासी एक महिला ने कोर्ट में जनहित याचिका के तहत सेना की भूमि पर अवैध रूप से चल रही मार्केट को हटाने का मामला उठाया था। आर्मी की ए क्लास भूमि पर अवैध कब्जे की जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा इन दुकानों को हटाने के आदेश पारित किए गए।
टूटने से पहले पर्यटक नगरी कसौली की पाईन मार्केट@PrajasattaNews pic.twitter.com/K92WIK1nrw
— Tinku Raj (@TinkuRa00131558) August 31, 2023
प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के बाद 28 अगस्त तक सेना को अपनी भूमि से इस मार्केट को उठाने के आदेश जारी हुए थे। आदेश के बाद तिब्बती मार्केट के 21 दुकानदारों ने अपनी दुकानें हटा दी हैं। सोमवार को सेना के समक्ष यहां खाली भूमि की रिपोर्ट सौंपी जानी है।
ऐसे में पर्यटक नगरी कसौली के पाइन मॉल में 30 वर्षों से भी अधिक समय से बसी तिब्बती मार्केट अब हमेशा के लिए विलुप्त हो जाएगी। 21 दुकानों वाले पाइन मॉल की शोभा बढ़ाती तिब्बती मार्केट 28 अगस्त से कभी देखने को नहीं मिलेगी। ट्राइसिटी के निकट होने के कारण, कसौली हिमाचल प्रदेश के सबसे लोकप्रिय हिल स्टेशनों में से एक है, और यहां हर साल हजारों पर्यटक आते हैं।
पर्यटक नगरी कसौली में आए दिन हमेशा इस तिब्बती मार्केट में पर्यटकों की भीड़ लगी रहती थी। जिससे न केवल 21 परिवारों की रोजी- रोटी चलती थी बल्कि कसौली की आर्थिकी को भी इजाफा होता था। सुंदर पहाड़ी की गोद में बसी इस मार्किट को एक जनहित याचिका के फैसले ने ग्रहण लगा दिया। यहां पर वर्षों से चला रहे इन छोटे दुकानदारों को अब दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर कर दिया है।
कैसे हुई तिब्बती मार्केट शुरुवात्त
पर्यटक नगरी कसौली के केंट एरिया में सेना की इस भूमि पर पहले कुछ लोगों ने तिरपाल डालकर सामान बेचना शुरू किया था। उसके बाद दुकानदारों की संख्या बढ़ती गई और फिर 2008-09 में प्लास्टिक के टेंट हटाकर टीन के शेड बना लिए। हालांकि, इनमें न तो बिजली के कनेक्शन थे और न ही दुकानों का किराया वसूला जाता था। बता दें कि वर्षों पहले पर्यटक नगरी कसौली डिफेंस की ए क्लास की यह भूमि पर तिब्बत शरणार्थियों को रोजी -रोटी चलाने को मुफ्त में इस शर्त पर दी गई थी कि जब आर्मी को जरूरत होगी उन्हें 24 घंटे में हटाना होगा।
पर्यटक नगरी कसौली तिब्बती मार्केट के दुकानदारों ने लगाई गुहार
सरकार से जगह देने की गुहार तिब्बती मार्केट के दुकानदारों का कहना है कि वे वर्षों से यहां पर दुकाने लगाते आ रहे थे। अब उम्र के इस पड़ाव में रोजी- रोटी का साधन खत्म हो जाने से उन्हें भविष्य की चिंता सता रही है। कोई चाय, मोमोज बेचकर, तो कोई मक्की भूनकर परिवार का गुजर बसर कर रहा था। दुकानदार केंद्र सरकार से गुहार लगा रहे है कि उन्हें छावनी के अन्य क्षेत्र में दुकानें लगाने के लिए जगह देकर विस्थापित होने से बचा लें, ताकि वे बैंकों का लोन भर सकें व बच्चों की पढ़ाई करवा सके। बहरहाल अब प्रदेश सरकार के समक्ष पुन: इन दुकानंदारों को स्थापित करने के लिए पुरजोर से माँग उठाई जा रही है।
पाइन माल मार्केट के नाम से प्रचलित
पर्यटक नगरी कसौली में दो बाजार चल रहे थे, जिसमें हेरिटेज मार्केट छावनी परिषद की जमीन पर है। जबकि दूसरी मार्केट सेना की भूमि पर थी, इस मार्केट का नाम तिब्बती मार्केट था, लेकिन कुछ वर्ष पहले से इसका नाम पाइन माल मार्केट प्रचलित हो गया था। कसौली में पहले ही छोटा सा बाजार था, जिसमें से अब माल रोड पर मार्केट खत्म हो गई है।