प्रजासत्ता|
इंदौरा पुलिस की क्राइम ब्रांच ने दवा फैक्ट्री संचालक डॉ. विनय शंकर को 400 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के साथ गिरफ्तार किया है। आरोपी डॉ. विनय त्रिपाठी के पास से 16 बॉक्स में 400 नकली वाॅयल भी मिले हैं। जांच में पता चला है कि वह बीते एक साल से कांगड़ा में सूरजपुर स्थित फॉर्मुलेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी चला रहा था।
कंपनी के मैनेजर पिंटू कुमार ने बताया कि पिछले साल लॉकडाउन लगने के बाद से कंपनी बंद थी। अगस्त 2020 को इंदौर के रहने वाले डॉ. विनय त्रिपाठी ने ही कंपनी में फिर से उत्पादन शुरू करवाया था। स्टाफ को हर महीने सैलरी भी वही दे रहा था।
पिंटू ने बताया कि ‘दिसंबर 2020 को डॉ. विनय त्रिपाठी के कहने पर मैंने एडिशनल ड्रग कंट्रोलर धर्मशाला आशीष रैना को रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, लेकिन अनुमति नहीं मिली थी। रेमडेसिविर इंजेक्शन हमारी कंपनी में बनाया जा रहा था, मुझे इसकी जानकारी नहीं है। कंपनी में वर्तमान में सात कर्मचारी काम कर रहे हैं। इनमें दो सिक्योरिटी गार्ड भी शामिल हैं।
इंदौर आईजी हरिनारायण चारी मिश्र ने बताया कि पुलिस ने डॉक्टर त्रिवेदी का खंडवा रोड से गिरफ्तार किया है। वह, बरामद इंजेक्शन के सही से दस्तावेपज पेश नहीं कर सका है। पुलिस आरोपी से लगातार पूछताछ कर रही है। पुलिस ने उसके पास से कुल 25 बॉक्स बरामद किए हैं। पुलिस यह पता करने में लगी है कि इंदौर में इसने कितने इंजेक्शन की सप्लाई की है।
वहीं एडिशनल ड्रग कंट्रोलर धर्मशाला आशीष रैना ने बताया कि कंपनी को रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने की अनुमति विभाग ने नहीं दी है। साथ ही नूरपुर के ड्रग इंस्पेक्टर प्यार चंद को मामले की जांच करने के आदेश दिए गए हैं।
नकली इंजेक्शन हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा के इंदौरा में बना रहा था जहां इसने अवैध रूप से फैक्ट्री लगा रखी थी तो क्या हिमाचल का इंडस्ट्री मिनिस्टर, सैक्रेटरी ,ड्रग कंट्रोलर और तमाम प्रशासनिक अधिकारियों और नेताओं जिनकी पनाह में यह गोरखधंधा चल रहा था के ऊपर देशद्रोह का मुकदमा नहीं चलना चाहिए, यहां विपक्ष मौन क्यों ?