कांगड़ा|
नगरोटा बगवां बिजली विभाग बिना कारण बताओ नोटिस के आउटसोर्स कर्मचारी को नौकरी से बाहर कर देता। जब मामला औद्योगिक न्यायाधिकरण सह-श्रम न्यायालय पहुंचा तो विभाग के अधिकारी पक्ष रखने नहीं जाते| अब जब मामला निचली अदालत में चला गया तो अधिकारी एक नौकरी से बर्खास्त कर्मचारी पर विभागीय जांच करने की बात कर रहे। जबकि किसी भी कर्मचारी के खिलाफ विभागीय जांच तब होती है जब उसे निलम्बित किया गया हो, यहाँ तो बिना कारण बताओ सीधा बर्खास्त ही कर दिया गया है तो विभागीय जांच कैसे संभव है।
अधिकारी को जब लगा कि मामला मीडिया द्वारा उठाया जा रहा है तो फ़ोन करके कर्मचारी के माता-पिता को स्थानीय कार्यालय बुलाकर यह बोला जाता है कि आपके बेटे ने कोई गबन किया है फिर भी यदि यह अपना कोर्ट केस वापिस ले तो हमें इसे दोबारा रखने को तैयार हैं। अब सवाल यह है कि यदि सच में कर्मचारी की कोई गलती थी तो उसे कारण बताओ नोटिस जारी क्यों नहीं किया गया और विभाग ने कोई लिखित कार्यवाही अमल में क्यों नहीं लायी।
कर्मचारी ने अधिकारियों के दिये प्रताव को ठुकरा दिया और कहा कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है और उन्हें न्यायापालिका पर पूरा भरोसा है। बता दें कि अप्रैल माह में आउटसोर्स कर्मचारी ने अधिकारी से छुटी ली और साथ मे शादी का निमंत्रण भी दिया। लेकिन एक सप्ताह के बाद जब यह आउटसोर्स कर्मचारी वापिस कार्यालय पहुंचा तो हाज़री रजिस्टर में उसके नाम की जगह किसी और नाम लिखा था जो नया नियुक्त किया गया था। कर्मचारी के पूछने पर अधिकारी ने बताया कि उसकी जगह दूसरे को नियुक्त करने के लिए ऊपर से दवाब था। अधिकारी ने एक तो नाजायज़ तरीके से आउटसोर्स कर्मचारी को बाहर किया अपितु उसकी एक माह की तनख्वाह नहीं अदा की गई|