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हिंदुस्तान की पुरानी मार्शल आर्ट्स कलरीपायटटू का हिमाचल के पहले घरेलू जिम में हो रहा प्रसार

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला का चकलोट गांव में प्रदेश का पहला जिम स्थापित किया गया है जोकि राणा द वाइपर के नाम से विख्यात है।इस जिम की विशेषता यह है कि इस जिम के सभी उपकरण सीमेंट से बने हुए हैं । यू-ट्यूब चैनल राणा द वाइपर के माध्यम से फिटनेस के प्रति जागरूक कर रहे हैं।राणा ने बताया कि वह हिंदुस्तान की मार्शल आर्ट जिसे कलरीपायट्टु नाम से जाना जाता है। यह विश्व की मार्शल आर्ट की जननी है।कलरीपायट्टु को दुनिया की सबसे पुरानी मार्शल आर्ट तकनीक माना जाता है। इस कला की उत्पत्ति दक्षिण भारत के केरल राज्य में हुई। कलरीपायट्टु दो शब्दों से मिल कर बना है, पहला ‘कलरी’ जिसका मतलब स्कूल या व्यायामशाला जबकि दूसरे शब्द ‘पायट्टु’ का मतलब होता है युद्ध या व्यायाम करना। ऐसी मान्यता है कि कलरीपायट्टु को स्वयं भगवान शिव ने बनाया और इस कला का ज्ञान उन्होंने सप्तऋषि अगस्त्य को दिया जिन्होंने इस कला की मदद से दक्षिणी कलरीपायपट्टु का विकास किया। उनहोंने मार्शल आर्ट की रचना खास तौर पर जंगली जानवरों से लड़ने के लिए की थी। कलारी के महान अध्यापकों में अगला नाम परशुराम का आता है। उन्होने सिर्फ इस अद्भुत सामरिक कला के बल पर अकेले ही कई सेनाओं का संहार किया। परशुराम की देखरेख में इस कला की शिक्षा मालाबार के उत्तर में आगे बढ़ी, जबकि अगस्त्य मुनि द्वारा प्रेरित कला दक्षिण से आई। परशुराम की शिक्षा प्रणाली में सभी प्रकार के हथियारों का प्रयोग किया जाता है, जिसमें हाथ से चलाए जाने वाले शस्त्र, फेंकने वाले शस्त्र के साथ कई तरह के शस्त्र शामिल हैं। जबकि अगस्त्य मुनि की प्रणाली वाली सामरिक कला बिना शस्त्रों के विकसित हुई, जहां सब कुछ हाथों से होता है। 13वीं और 16वीं शताब्दी के दौरान, बोधिधर्म बौद्ध धर्म मैं भी इस कला का प्रसार किया था और वह यहां से चले गए इसी प्रकार इस कला में ने प्रभुत्व प्राप्त किया। हालाँकि, ब्रिटिश आधिपत्य के दौरान, भारत में मार्शल आर्ट को बड़ी असफलता का सामना करना पड़ा। सत्ताधारी अंग्रेजों ने हथियारों के साथ प्रशिक्षण और ले जाने की परंपरा पर आपत्ति जताई। कलारीपयट्टू में लोगों को अभ्यास और प्रशिक्षण देने से रोकने के लिए कानून पारित किए गए और उत्साह के साथ लागू किए गए। इन कानूनों को अंग्रेजों द्वारा मूल निवासियों के बीच किसी भी प्रकार के विद्रोह या विद्रोह की संभावना को कम करने के लिए लागू किया गया था। यह कला न सिर्फ व्यायाम और शारीरिक चुस्ती फुर्ती तक ही सीमित नहीं है , बल्कि यह मानसिक तनाव से भी दूर और एक जीवनशैली बतायी जाती है। बॉलीवुड एक्टर विद्युत जामवाल ने भी उन्हें टी-शर्ट दी थी। वे उनके बहुत बड़े फैन है।राणा का एकमात्र उद्देश्य है कि लोगों को फिटनेस के प्रति जागरूक करना व नशे से दूर करना। और साथ ही साथ लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग भी देते हैं। और हिमाचल प्रदेश में नशा छोड़ो बॉडी बनाओ अभियान छेड़ा हुआ है। हालांकि इस जिम को देखने के लिए आनी के डीएसपी रविंद्र नेगी ने इस जिम का निरीक्षण भी किया और जिम के संस्थापक की सराहना भी की।

कुल्लू|
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला का चकलोट गांव में प्रदेश का पहला जिम स्थापित किया गया है जोकि राणा द वाइपर के नाम से विख्यात है।इस जिम की विशेषता यह है कि इस जिम के सभी उपकरण सीमेंट से बने हुए हैं । यू-ट्यूब चैनल राणा द वाइपर के माध्यम से फिटनेस के प्रति जागरूक कर रहे हैं।राणा ने बताया कि वह हिंदुस्तान की मार्शल आर्ट जिसे कलरीपायट्टु नाम से जाना जाता है। यह विश्व की मार्शल आर्ट की जननी है।कलरीपायट्टु को दुनिया की सबसे पुरानी मार्शल आर्ट तकनीक माना जाता है।

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इस कला की उत्पत्ति दक्षिण भारत के केरल राज्य में हुई। कलरीपायट्टु दो शब्दों से मिल कर बना है, पहला ‘कलरी’ जिसका मतलब स्कूल या व्यायामशाला जबकि दूसरे शब्द ‘पायट्टु’ का मतलब होता है युद्ध या व्यायाम करना। ऐसी मान्यता है कि कलरीपायट्टु को स्वयं भगवान शिव ने बनाया और इस कला का ज्ञान उन्होंने सप्तऋषि अगस्त्य को दिया जिन्होंने इस कला की मदद से दक्षिणी कलरीपायपट्टु का विकास किया। उनहोंने मार्शल आर्ट की रचना खास तौर पर जंगली जानवरों से लड़ने के लिए की थी।

कलारी के महान अध्यापकों में अगला नाम परशुराम का आता है। उन्होने सिर्फ इस अद्भुत सामरिक कला के बल पर अकेले ही कई सेनाओं का संहार किया। परशुराम की देखरेख में इस कला की शिक्षा मालाबार के उत्तर में आगे बढ़ी, जबकि अगस्त्य मुनि द्वारा प्रेरित कला दक्षिण से आई। परशुराम की शिक्षा प्रणाली में सभी प्रकार के हथियारों का प्रयोग किया जाता है, जिसमें हाथ से चलाए जाने वाले शस्त्र, फेंकने वाले शस्त्र के साथ कई तरह के शस्त्र शामिल हैं। जबकि अगस्त्य मुनि की प्रणाली वाली सामरिक कला बिना शस्त्रों के विकसित हुई, जहां सब कुछ हाथों से होता है।

13वीं और 16वीं शताब्दी के दौरान, बोधिधर्म बौद्ध धर्म मैं भी इस कला का प्रसार किया था और वह यहां से चले गए इसी प्रकार इस कला में ने प्रभुत्व प्राप्त किया। हालाँकि, ब्रिटिश आधिपत्य के दौरान, भारत में मार्शल आर्ट को बड़ी असफलता का सामना करना पड़ा। सत्ताधारी अंग्रेजों ने हथियारों के साथ प्रशिक्षण और ले जाने की परंपरा पर आपत्ति जताई। कलारीपयट्टू में लोगों को अभ्यास और प्रशिक्षण देने से रोकने के लिए कानून पारित किए गए और उत्साह के साथ लागू किए गए। इन कानूनों को अंग्रेजों द्वारा मूल निवासियों के बीच किसी भी प्रकार के विद्रोह या विद्रोह की संभावना को कम करने के लिए लागू किया गया था।

यह कला न सिर्फ व्यायाम और शारीरिक चुस्ती फुर्ती तक ही सीमित नहीं है , बल्कि यह मानसिक तनाव से भी दूर और एक जीवनशैली बतायी जाती है। बॉलीवुड एक्टर विद्युत जामवाल ने भी उन्हें टी-शर्ट दी थी। वे उनके बहुत बड़े फैन है।राणा का एकमात्र उद्देश्य है कि लोगों को फिटनेस के प्रति जागरूक करना व नशे से दूर करना। और साथ ही साथ लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग भी देते हैं। और हिमाचल प्रदेश में नशा छोड़ो बॉडी बनाओ अभियान छेड़ा हुआ है। हालांकि इस जिम को देखने के लिए आनी के डीएसपी रविंद्र नेगी ने इस जिम का निरीक्षण भी किया और जिम के संस्थापक की सराहना भी की।

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