प्रजासत्ता|
भारतीय वायुसेना का सबसे उम्दा फाइटर जेट राफेल भारतीय वायुसेना (Rafale Jets Induction in IAF) के 17वें स्क्वाड्रन, ‘गोल्डन ऐरो’ का हिस्सा बन गया है| अब खबर आ रही है कि फ्रांस ने भारत को राफेल लड़ाकू विमानों के अगले बैच को सौंप दिया है| यह विमान अभी फ्रांस में हैं और अक्टूबर में यह भारत पहुंचेंगे। इन विमानों को पश्चिम बंगाल में स्थित कलईकुंडा एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात किया जाएगा, जो चीन से लगती पूर्वी सीमा की रखवाली करेंगे।
भारत में फ्रांसीसी राजदूत इमैनुएल लेनिन ने बताया कि राफेल फाइटर जेट्स का दूसरा बैच भारत को सौंप दिया गया है। ये विमान फिलहाल फ्रांस में हैं। अब यह तय करना है कि भारतीय वायुसेना कब विमान को भारत लाएगी। उन्होंने कहा, “भारतीय वायु सेना के पायलट उत्कृष्ट हैं।”
भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ने के कारण भारत के लिए राफेल की दूसरी बैच का मिलना बेहद की जरूरी है, क्योंकि यह विमान कम तापमान पर भी आसानी से उड़ान भरने में समक्ष हैं। भारत में आने वाले 5 राफेल विमानों का पहला बैच 250 घंटे से अधिक उड़ान और फील्ड फायरिंग परीक्षणों से गुजर चुका है। इन विमानों को अंबाला में 17 गोल्डन एरो स्क्वॉड में शामिल किया गया है।
चीन का J-20 फाइटर जेट से टक्कर
चीन के चेंगदू J-20 और पाकिस्तान के JF-17 फाइटर जेट की तुलना भारत के राफेल से की गई, लेकिन ये दोनों प्लेन राफेल से काफी पीछे हैं। चीनी J-20 विमान एक रोल स्टील्थ फाइटर है। इसलिए राफेल विमानों का इस्तेमाल कई उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। J-20 की मारक क्षमता 1,200 किमी है, जिसे 2,700 किमी तक बढ़ाया जा सकता है। J-20 की लंबाई 20.3 मीटर से 20.5 मीटर तक है। इसकी ऊंचाई 4.45 मीटर है और इसका पंख 12.88-13.50 मीटर के बीच है। चीन ने पीएफ-15 मिसाइलों को पाकिस्तान के जेएफ-17 में शामिल किया है, लेकिन फिर भी वह राफेल से कमजोर है।
अगले साल के अंत तक आ जाएंगे सभी राफेल
भारत ने 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए फ्रांस के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। 36 में से 30 फाइटर जेट होंगे जबकि 6 प्रशिक्षण विमान होंगे। प्रशिक्षण विमान में दो सीटें होंगी और एक लड़ाकू विमान की लगभग सभी विशेषताएं होंगी। रूस से सुखोई विमान खरीदने के बाद लगभग 23 वर्षों में पहली बार भारत ने राफेल लड़ाकू जेट खरीदे हैं। ये राफेल विमान घातक हथियारों से लैस हैं। राफेल विमान उल्का, MICA और SCALP मिसाइलों से लैस हैं।
गौरतलब है कि राफेल के आने से भारतीय वायुसेना की ताकत में कई गुना इजाफा हो गया है| भारत के लिए राफेल एक मील का पत्थर माना जा रहा है| राफेल लड़ाकू विमानों के भारतीय वायुसेना होने से चीन और पाकिस्तान की धड़कनें जरूर तेज हो गई होंगी क्योंकि इन दोनों देशों के लिए राफेल से पार पाना बहुत कठीन है|
बता दें कि पांच राफेल जेट विमानों का पहला बैच इसी साल 29 जुलाई को भारत पहुंच गया था| 2016 में भारत और फ्रांस के बीच 36 लड़ाकू विमानों की खरीद के लिये 59,000 करोड़ रुपये समझौता हुआ था| राफेल 4.5 जेनरेशन का लड़ाकू विमान है| भारत और फ्रांस के साथ हुए करार के मुताबिक 2022 तक भारत को 36 राफेल जेट भारत को मिल जाएंगे| पहले 18 राफेल जेट अंबाला एयरबेस में रखे जाएंगे, जबकि बाकी के 18 विमान पूर्वोत्तर के हाशीमारा में तैनात किये जाने का प्लान है|