प्रजासत्ता|
लोन मोरेटोरियम मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है, जिसमे कहा गया है कि पहले से ही सरकार ने वित्तीय पैकेजों के माध्यम से राहत की घोषणा की थी, उस पैकेज में और ज्यादा छूट जोड़ना संभव नहीं है| केंद्र ने कहा है कि पहले से ही सरकार ने वित्तीय पैकेजों के माध्यम से राहत की घोषणा की थी, उस पैकेज में और ज्यादा छूट जोड़ना संभव नहीं है|
हलफनामे में केंद्र ने कहा कि पॉलिसी सरकार का डोमेन है और कोर्ट को सेक्टर विशिष्ट वित्तीय राहत में नहीं जाना चाहिए| केंद्र ने ये भी कहा कि जनहित याचिका के माध्यम से क्षेत्र विशेष के लिए राहत की मांग नहीं की जा सकती| अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया है कि संकट समाधान के लिए उधार देने वाली संस्थाएं और उनके उधारकर्ता पुनर्गठन योजना बनाते हैं, केंद्र और आरबीआई उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं|
सरकार ने कोर्ट को बताया कि 2 करोड़ तक के ऋणों के लिए चक्रवृद्धि ब्याज माफ करने के तौर तरीकों को कैबिनेट द्वारा मंजूरी मिलने के बाद जारी किया जाएगा| हलफनामे में कहा गया है कि बैंकों को अधिसूचना की तारीख से एक महीने के भीतर चक्रवृद्धि ब्याज माफी योजना को लागू करना होगा| केंद्र ने बताया कि 3 लाख करोड़ रुपये की MSME- इमरजेंसी क्रेडिट पॉलिसी पहले ही लॉन्च की गई ताकि वे नियमित परिचालन में वापस आ सकें|