Former PM Dr Manmohan Singh Death: देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में गुरुवार रात दिल्ली स्थित एम्स में निधन हो गया। भारत के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के निधन से पूरा देश गमगीन है। हर कोई डॉ. मनमोहन सिंह को याद करते हुए उन्हें नमन कर रहा है। आजादी के बाद उन्होंने कई तरह से देश की सेवा में अपना अहम योगदान दिया। मनमोहन सिंह राजनेता नहीं थे, वह एक अर्थशास्त्री, एक विचारक भी थे।
डॉ. मनमोहन सिंह का विभाजन के दौर में बहुत कुछ खोकर भारत आना और यहां जीवन के हर क्षेत्र में उपलब्धि हासिल करना सामान्य बात नहीं है। दुनिया की प्रतिष्ठित संस्थानों में शिक्षा लेने और सरकार के अनेक के शीर्ष पदों पर रहे, सिंह ने अभावों और संघर्षों से ऊपर उठकर कैसे ऊंचाईयों को हासिल किया। इसके लिए उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों को सीख देता रहेगा।
डॉ मनमोहन सिंह इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक उन्होंने हर जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। साल 1991 का वह दौर जब देश आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, तब बतौर वित्त मंत्री उन्होंने देश को उम्मीद देने वाला बजट पेश किया। उनके आर्थिक सुधारों की पूरी दुनिया कायल रही।
नोट पर सिग्नेचर करने वाले अकेले पीएम
पीएम बनने से पहले डॉ मनमोहन सिंह ने RBI गवर्नर और वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभाली थी। वे भारत के इकलौते प्रधानमंत्री थे, जिनके सिग्नेचर भारतीय करेंसी पर पाए जाते हैं। 2005 में जब मनमोहन पीएम थे, तब केंद्र सरकार ने 10 रुपये का नया नोट जारी किया था। उस नोट पर मनमोहन सिंह के साइन थे। हालांकि तब भारतीय करेंसी पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर सिग्नेचर करते थे, लेकिन तब 10 रुपये के नोट के लिए बदलाव किया गया था।
कई पदों पर किया काम
मनमोहन सिंह ने RBI गवर्नर, वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, प्रधानमंत्री के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष सहित कई प्रमुख पदों पर कार्य किया। 1991 में उन्होंने वित्त मंत्री की कुर्सी संभाली और 2004 से 2014 तक लगातार 10 साल देश के प्रधानमंत्री रहे। दुनिया के सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों में शुमार रहे डॉ. सिंह को भारत और विश्व स्तर पर कई प्रतिष्ठित पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हुए।
डॉ. मनमोहन सिंह से पूरी दुनिया थी प्रभावित
डॉ. सिंह को कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड सहित कई विश्वविद्यालयों से मानद डिग्रियां भी प्राप्त हुई हैं। उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों एवं संगठनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। डॉ. मनमोहन सिंह के विचारों और प्रगतिशील सोच से पूरी दुनिया प्रभावित थी। उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा भी सम्मानित किया गया। जापान के निहोन केइजाई शिंबुन सहित कई अन्य संगठनों द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया था।
डॉ. मनमोहन सिंह से के खाते में आए ये सम्मान
- मनमोहन सिंह को 1987 में देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था
- 1995 में उन्हें भारतीय विज्ञान कांग्रेस के जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार मिला
- 2002 में उन्हें उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार से नवाजा गया
- 1993-1994 में एशिया मनी अवॉर्ड फॉर फाइनेंस मिनिस्टर ऑफ द ईयर
- यूरो मनी अवॉर्ड फॉर फाइनेंस मिनिस्टर ऑफ द ईयर
- कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी का एडम स्मिथ पुरस्कार (1956)
- कैम्ब्रिज के सेंट जॉन्स कॉलेज में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राइट्स पुरस्कार (1955)
- सऊदी अरब का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान, ऑर्डर ऑफ किंग अब्दुलअजीज (2010)
- जापान का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान, ऑर्डर ऑफ द पॉलाउनिया फ्लावर्स (2014)
- क्षेत्रीय विकास के लिए निक्केई एशिया पुरस्कार (1997)
- वर्ल्ड स्टेट्समैन अवॉर्ड (2010)
Dr Manmohan Singh की आर्थिक नीतियों को दुनिया ने स्वीकारा
डॉ. मनमोहन सिंह की आर्थिक नीतियों को देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया ने भी स्वीकार किया। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को निजीकरण, वैश्वीकरण और उदारीकरण की दिशा में ले जाने का काम किया। वित्त मंत्री के तौर पर उनकी सेवाएं 1996 तक जारी रहीं। इसके बाद 2004 में मनमोहन सिंह को पीएम बनने का मौका मिला। जिसके बाद प्रधानमंत्री के तौर पर अगले 10 साल काम किया। उनके कार्यकाल में ही 2007 में भारत अर्थव्यव्यवस्था की आर्थिक वृद्धि दर 9 फीसदी तक पहुंच गई थी।
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