New Income Tax Bill Introduced in Lok Sabha: केंद्र सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में नया इनकम टैक्स बिल 2025 पेश किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बिल को सदन में रखते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से अनुरोध किया कि इसे समीक्षा के लिए एक चयन समिति (सेलेक्ट कमेटी) को भेजा जाए। हालांकि, विपक्षी दलों ने इस बिल के पेश किए जाने का विरोध किया, लेकिन सरकार के प्रस्ताव को ध्वनि मत (वॉयस वोट) से मंजूरी मिल गई।

वित्त मंत्री ने लोकसभा अध्यक्ष से आग्रह किया कि इस बिल की समीक्षा के लिए एक चयन समिति बनाई जाए। यह समिति बिल के प्रावधानों का अध्ययन करेगी और आवश्यक सुझाव देगी। समिति का उद्देश्य बिल के सभी पहलुओं पर विचार करके इसे और प्रभावी बनाना है। समिति लोकसभा के अगले सत्र के पहले दिन तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
टैक्स शब्दावली में बदलाव
नए बिल में टैक्स से जुड़ी शब्दावली (टर्मिनोलॉजी) को आसान बनाया गया है। उदाहरण के तौर पर, “असेसमेंट इयर” (आकलन वर्ष) और “पिछले वर्ष” (Previous Year) की जगह अब “टैक्स इयर” (Tax Year) शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा, “वर्चुअल डिजिटल एसेट” और “इलेक्ट्रॉनिक मोड” जैसी नई शब्दावली जोड़ी गई है, जिससे डिजिटल लेनदेन और क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े प्रावधानों को बेहतर ढंग से समझा जा सकेगा।
कुल आय और कर योग्य आय की परिभाषा में सुधार
नया इनकम टैक्स बिल में कुल आय (टोटल इनकम) और कर योग्य आय (टैक्सेबल इनकम) की परिभाषा को और स्पष्ट किया गया है। पुराने कानून के तहत भारतीय निवासियों की वैश्विक आय पर टैक्स लगता था, जबकि गैर-निवासियों पर केवल भारत में अर्जित आय पर ही टैक्स लगाया जाता था। नए बिल में यह नियम बरकरार रखा गया है, लेकिन “डीम्ड इनकम” (संभावित आय) की स्पष्ट परिभाषा दी गई है।
कटौती और छूट के नियमों में बदलाव
नए बिल में टैक्स छूट और कटौती (डिडक्शन और एग्जम्प्शन) के नियमों को और सरल बनाया गया है। पुराने कानून में सेक्शन 10 और 80C से 80U के तहत विभिन्न प्रकार की छूट और कटौती का प्रावधान था। नए बिल में इन्हें सेक्शन 11 से 154 के तहत रखा गया है। साथ ही, स्टार्टअप, डिजिटल व्यवसाय और नवीकरणीय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) से जुड़े निवेश को बढ़ावा देने के लिए नए प्रावधान जोड़े गए हैं।
कैपिटल गेन्स टैक्स में बदलाव
कैपिटल गेन्स टैक्स के नियमों में भी कुछ बदलाव किए गए हैं। पुराने कानून के तहत कैपिटल गेन्स टैक्स को सेक्शन 45 से 55A के तहत रखा गया था। नए बिल में इसे क्लॉज 67 से 91 के तहत रखा गया है। साथ ही, वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (जैसे क्रिप्टोकरेंसी) के लिए अलग से स्पष्ट नियम जोड़े गए हैं।
गैर-लाभकारी संगठनों के लिए नए नियम
नए बिल में गैर-लाभकारी संगठनों (नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन्स) के लिए भी टैक्स नियमों में बदलाव किए गए हैं। पुराने कानून में सेक्शन 11 से 13 के तहत इन संगठनों को टैक्स में छूट मिलती थी, लेकिन नियम स्पष्ट नहीं थे। नए बिल में सेक्शन 332 से 355 के तहत इन संगठनों के लिए टैक्स छूट की परिभाषा को स्पष्ट किया गया है।
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