Supreme Court Decision on EVM-VVPAT Verification: सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन वीवीपैट (EVM-VVPAT) वेरिफिकेशन की मांग को लेकर दायर सभी याचिकाओं को को खारिज कर दिया है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की दो जजों की पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया। इसके अलावा कोर्ट ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग भी खारिज कर दी।
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि किसी सिस्टम पर आंख मूंदकर संदेह करना सही नहीं है। इसलिए हमारे अनुसार सार्थक आलोचना की आवश्यकता है, चाहे वह न्यायपालिका हो, विधायिका हो। लोकतंत्र का अर्थ सभी स्तंभों के बीच सद्भाव और विश्वास बनाए रखना है। विश्वास और सहयोग को बढ़ावा देकर हम अपने लोकतंत्र की आवाज को मजबूत कर सकते हैं।
#BREAKING #SupremeCourt rejects pleas for complete EVM-VVPAT verification.
Court directs that the Symbol Loading Units should also be sealed and secured.
Court also directs that there will be option for candidates to get the microcontroller program of EVMS to be checked by a… https://t.co/A3sjuZqBVU
— Live Law (@LiveLawIndia) April 26, 2024
हालाँकि अदालत ने कुछ महत्वपूर्ण निर्देश भी दिए हैं ताकि चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनी रहे। मामले की (EVM-VVPAT) सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि उम्मीदवार चाहे तो चुनाव परिणाम घोषित होने के सात दिन के भीतर रिजल्ट की दोबारा जांच की मांग कर सकता है। ऐसी स्थिति में माइक्रो कंटोलर की मेमोरी की जांच इंजीनियर के द्वारा की जाएगी। यह कदम EVM की कार्यप्रणाली में किसी भी तरह की छेड़छाड़ की आशंका को दूर करने में मदद करेगा।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही साफ कर दिया कि उम्मीदवार की तरफ से जांच का खर्च उठाना है। अदालत ने कहा कि चुनाव परिणाम में गड़बड़ी साबित होने की सूरत में उम्मीदवार को सारा खर्च वापस मिल जाएगा।
इससे पहले हुई सुनवाई में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी से ईवीएम (EVM-VVPAT) की कार्य-प्रणाली के संबंध में पांच प्रश्न पूछे थे। इससे बाद सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
भारतीय चुनाव प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। EVM की विश्वसनीयता (EVM-VVPAT) पर उठ रहे सवालों के बीच, यह निर्णय चुनाव आयोग के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया है। अदालत के निर्देशों से चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ेगी, जिससे मतदाताओं का विश्वास मजबूत होगा।
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