First Carbon Neutral Baby Aadavi: क्या आप जानते हैं कि भारत की लगभग 2 साल की मासूम बच्ची आदवी ने इतिहास रच दिया है? दरअसल, आदवी को एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने “दुनिया की “पहली कार्बन न्यूट्रल बेबी” के रूप में मान्यता दी है। सिर्फ 11 महीने और 16 दिन की उम्र में कार्बन न्यूट्रल बन गई। एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार एक इंसान केवल एक साल में 2 टन के करीब कार्बन प्रोड्यूस करता है।
कैसा होगा अगर कोई इंसान जीरो कार्बन प्रोड्यूस करें। दुनिया में एक बच्चा ऐसा भी है, जिसे जीरो कार्बन न्यूट्रल बेबी (Baby Nova) का खिताब दिया जा चुका है। ‘कार्बन-न्यूट्रल बेबी’ का नाम से बहुत से लोग इस शब्द अनजान होंगे, मगर ये एक अनोखा टाइटल है। हम बेबी नोवा की बात कर रहे हैं, जिसे डी.जे. अदावी के नाम से भी जाना जाता है। इस बच्ची को ‘दुनिया की पहली कार्बन-न्यूट्रल बेबी का खिताब दिया गया। बेबी नोवा का जन्म 3 मार्च, 2023 को तमिलनाडु में हुआ था।
आदावी के इस टाइटल के पीछे है उनके माता-पिता की विजनरी सोच है, जिन्होंने तमिलनाडु के किसानों के साथ मिलकर 6000 फलों के पेड़ लगाए है, जो आदावी के साथ-साथ बड़े होंगे। इससे आदावी अपने पूरे जीवन में शून्य कार्बन प्रोड्यूस करेगी। तमिलनाडु में अपने घर के आसपास 6,000 फलों के पेड़ लगाने के बाद आदावी का कार्बन उत्सर्जन पूरी तरह से अवशोषित हो जाएगा।
World’s First Carbon Neutral Baby
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आदवी के माता-पिता, दिनेश एसपी और जनगा नंधिनी, की यह पहल जलवायु परिवर्तन के खिलाफ एक सशक्त कदम है, जो हमें सिखाती है कि व्यक्तिगत प्रयास बड़े बदलाव ला सकते हैं। इस खास उपलब्धि ने अदावी को एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा सम्मानित ‘दुनिया की पहली कार्बन-न्यूट्रल बेबी’ का खिताब दिलाया। मार्च 2024 में तमिलनाडु सरकार द्वारा उन्हें ग्रीन मिशन की चाइल्ड एम्बेसडर भी घोषित किया गया।
कैसे मिला बेबी नोवा (Baby Nova) का खिताब?
आईआईटी मद्रास से स्नातक दिनेश एसपी और उनकी पत्नी जनगनंदिनी ने पर्यावरण संरक्षण के लिए ‘सीराखु’ नामक एनजीओ की स्थापना की। इसका उद्देश्य है भारत को कार्बन-न्यूट्रल बनाना। एनजीओ भारतीयों को पेड़ लगाकर अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के बारे में शिक्षित करना का प्रयास कर रहा है। इस एनजीओ ने केवल दो साल के अंदर दूसरों को चार लाख पेड़ लगाने, वनों को पुनर्जीवित करने और वृक्षारोपण को बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है।
नोवा की कार्बन न्यूट्रैलिटी तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले के शिवलिंगपुरम गांव में लगाए गए, छह हजार पेड़ों, झाड़ियों और पौधों के कारण संभव हुई है। यह पहल न केवल नोवा के कार्बन फुटप्रिंट को कम करती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के लिए एक मॉडल के रूप में भी काम करती है। कार्बन न्यूट्रलिटी का मतलब है वातावरण में जितना कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित किया जाए, उतना ही वापस वातावरण से हटाया जाए। अदावी ने अपने छोटे से जीवन में यह दिखा दिया है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए छोटे कदम भी बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
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