प्रजासत्ता नेशनल डेस्क|
Aditya-L1 Mission: भारतीय अंतरिक्ष संस्थान(ISRO) ने सूर्य की वैज्ञानिक खोज के लिए आदित्य एल-1 सोलर मिशन को सफलता पूर्वक लॉन्च किया है। सूर्य से जुड़ें रहस्यों का पता लगाने के लिए इस सोलर मिशन को Aditya-L1 Mission के तहत शनिवार को सुबह ठीक 11 बजकर 50 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आदित्य एल-1 ने उड़ान भरी। हाल ही में चंद्रयान 3 की सफल लॉन्चिंग और चांद पर सफल लैंडिंग के बाद इसरो के वैज्ञानिकों की यह दूसरी सफलता है।
इसरो के अधिकारियों ने बताया कि जैसे ही 23.40 घंटे की उलटी गिनती समाप्त हुई, 44.4 मीटर लंबा ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) चेन्नई से लगभग 135 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 11.50 बजे निर्धारित समय पर शानदार ढंग से आसमान की तरफ रवाना हुआ। उल्लेखनीय है कि पिछले महीने 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता प्राप्त कर भारत ऐसा कीर्तिमान रचने वाला दुनिया का पहला और अब तक का एकमात्र देश बन गया है।
125 दिन का सफर तय करके पूरा होगा Aditya-L1 Mission
जानकारी के मुताबिक आज यानी लॉन्चिंग की तारीख से करीब 125 दिन का सफर तय करके Aditya-L1 अपने तय स्थान पर पहुंचेगा। Aditya-L1 सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा। आदित्य-एल1 न तो सूर्य पर उतरेगा और न ही इसके करीब जाएगा। इसके बाद इसरो को अपनी खोज के डेटा भेजेगा।
आदित्य एल1 को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘एल1’ (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का वास्तविक अवलोकन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। आदित्य एल1 सात पेलोड ले जाएगा, जिनमें से चार सूर्य से प्रकाश का निरीक्षण करेंगे। इसरो ने कहा, इससे सौर गतिविधियों को लगातार देखने का अधिक लाभ मिलेगा।
Aditya-L1 Mission का नेतृत्व कर रहे डॉ.शंकर सुब्रमण्यम
मिशन का नेतृत्व डॉ.शंकर सुब्रमण्यम कर रहे हैं। डॉ. सुब्रमण्यम इसरो के काफी सीनियर साइंटिस्टों में से एक हैं। उन्होंने अभी कर इसरो के कई अहम मिशनों में अपना खास योगदान दिया है। इतना ही नहीं डॉ. सुब्रमण्यम ने चंद्रयान 1 और चंद्रयान 2 में अहम जिम्मेदारी निभाई थी।
इस जटिल मिशन के को लेकर इसरो ने कहा कि “सूर्य सबसे निकटतम तारा है और इसलिए अन्य की तुलना में इसका अधिक विस्तार से अध्ययन किया जा सकता है। इसरो ने कहा कि सूर्य का अध्ययन करके आकाशगंगा के साथ-साथ अन्य आकाशगंगाओं के तारों के बारे में भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है। सूर्य पर कई विस्फोटक घटनाएं होती रहती हैं जिससे यह सौर मंडल में भारी मात्रा में ऊर्जा छोड़ता है। यदि ऐसी विस्फोटक सौर घटनाएं पृथ्वी की ओर निर्देशित होती हैं, तो यह पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष वातावरण में विभिन्न प्रकार की गड़बड़ी पैदा कर सकती हैं।”
यह पहली बार है जब भारत ने अंतरिक्ष में सूर्य की निगरानी करने के लिए कोई सैटेलाइट भेजा है। अमेरिका, यूरोप, जापान के कई उपग्रहों के बाद, बहुत कम देशों ने ही सूर्य की खोज की है। भारत एक मील का पत्थर बनाने जा रहा है।
राष्ट्रपति द्रोपती मुर्मू ने भारत के प्रथम सौर मिशन, Aditya-L1 Mission के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई दी है।
राष्ट्रपति एक ट्वीट में कहा
भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य-एल1 का प्रक्षेपण Aditya-L1 Mission एक ऐतिहासिक उपलब्धि है जो भारत के स्वदेशी अंतरिक्ष कार्यक्रम को एक नए पथ पर ले जाती है। इससे हमें अंतरिक्ष और खगोलीय घटनाओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। मैं वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई देती हूं। इस असाधारण उपलब्धि के लिए व मिशन की सफलता के लिए मेरी शुभकामनाएँ।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के प्रथम सौर मिशन, Aditya-L1 Mission के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई दी है।
प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा;
चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा जारी रखी है। भारत के प्रथम सौर मिशन, Aditya-L1 Mission के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो के हमारे वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बधाई। संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए ब्रह्मांड की बेहतर समझ विकसित करने के क्रम में निरंतर हमारे वैज्ञानिक प्रयास चलते रहेंगे।”