प्रजासत्ता नेशनल डेस्क|
तमिलनाडु सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म को लेकर दिए बयान पर अभी बवाल थमा नहीं है कि अब DMK के ए.राजा ने विवादित बयान दिया है। ए राजा ने ‘सनातन धर्म’ की तुलना एड्स, कुष्ठ रोग से की है। जिसके बाद ये विवाद बढ़ता ही जा रहा है। ए राजा ने सनातन धर्म के मसले पर सीधे गृह मंत्री अमित शाह से बहस करने की चुनौती दी है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ए राजा ने बुधवार को इस पूरे विवाद पर कहा कि उदयनिधि ने जो भी बोला है, वो काफी कम है। उन्होंने सिर्फ मलेरिया और डेंगू कहा है, लेकिन ये ऐसी बीमारी नहीं हैं जिन्हें समाज में घिनौना कहा जाता है। अगर आपको सनातन को परिभाषित करना है तो आप एचआईवी को देखिए, समाज के लिए सनातन ऐसा ही काम करता है।
भाजपा और हिन्दू संगठनों ने जताई नाराजगी
उदयनिधि के इस बयान पर भाजपा नेताओं और हिंदू संगठनों ने नाराजगी जताई है। भाजपा के आईटी विभाग के प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि द्रमुक नेता ने सनातन धर्म का पालन करने वाली 80 प्रतिशत आबादी के ‘नरसंहार’ का आह्वान किया था। हालांकि उदयनिधि ने उनके आरोप को खारिज कर दिया।
बयान पर INDIA गठबंधन में अलग-अलग रुख
सनातन धर्म को लेकर डीएमके नेताओं के दिए गए बयान पर INDIA गठबंधन में अलग-अलग रुख दिखे हैं। कुछ नेताओं ने इसपर चुप्पी साधी है और इस तरह के बयान देने से बचने के लिए कहा है, साथ ही कुछ ने इसे एक पार्टी का बयान बताया है। यही कारण है कि सनातन धर्म की इस डिबेट पर विपक्ष बैकफुट पर नज़र आ रहा है।
सनातन धर्म’ की तुलना
उल्लेखनीय है कि ए राजा का बयान उदयनिधि स्टालिन के उस विवादास्पद बयान के बाद आया है, जिसमें तमिलनाडु के मंत्री ने ‘सनातन धर्म’ की तुलना डेंगू और मलेरिया से की थी। उन्होंने कहा था कि ऐसी चीजों को खत्म करने की जरूरत है। अब ए राजा ने उदयनिधि का बचाव करते हुए ये बयान दिया है।
कैसे शुरू हुआ ये पूरा बवाल?
दरअसल, ये सारा विवाद उदयनिधि स्टालिन के बयान के बाद हुआ था। उदयनिधि ने अपने एक संबोधन में कहा था कि सनातन धर्म में सुधार नहीं बल्कि उसे खत्म करने की जरूरत है। ये धर्म एक बीमारी की तरह है, जैसे कि समाज में डेंगू और मलेरिया होता है। उदयनिधि के इसी बयान के बाद देश में सनातन धर्म को लेकर बहस शुरू हुई थी।
प्रधानमत्री ने दिए सख्त निर्देश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बीते दिन कैबिनेट बैठक में अपने मंत्रियों को निर्देश दिया है कि इस तरह के बयान का सही तरीके से जवाब दिया जाना चाहिए। यही कारण है कि भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री इस मसले पर आक्रामक रवैया अपना रहे हैं और खुले तौर पर विपक्ष को सनातन धर्म के मसले घेर रहे हैं।