शिमला।
प्रदेश हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को दोषमुक्त किया है। न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने प्रार्थी को तुरंत प्रभाव से रिहा करने के आदेश पारित किए हैं।
सत्र न्यायाधीश सोलन ने घनश्याम को नाबालिग से दुष्कर्म करने का दोषी पाया था। इसके लिए उसे 10 वर्ष के कठोर कारावास और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। इस निर्णय को प्रार्थी ने हाईकोर्ट के समक्ष अपील के माध्यम से चुनौती दी। नाबालिग की मां ने पुलिस को शिकायत दी थी कि उसकी पांच वर्षीय बच्ची के साथ उसके पिता ने दुष्कर्म किया है। अभियोजन पक्ष ने प्रार्थी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 व पॉक्सो अधिनियम की धारा-4 के तहत अभियोग चलाया था।
हाईकोर्ट ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन पर पाया कि प्रार्थी शराब के नशे में शिकायतकर्ता को प्रताड़ित करता था। पीड़ित की मेडिकल रिपोर्ट और उसका बयान भी अभियोजन पक्ष के खिलाफ है। सिर्फ शिकायतकर्ता के बयान पर ही प्रार्थी को दोषी ठहराया जाना उचित नहीं है।
अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि हो सकता है कि शिकायतकर्ता घरेलू हिंसा की वजह से प्रार्थी को फंसाना चाहती है। इस तरह की आशंका को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता है। अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष प्रार्थी के खिलाफ अभियोग साबित करने में नाकाम रहा है।