Document

शिक्षक संघों और कर्मचारियों की बयानबाजी पर लगी रोक का प्रदेश में हो रहा विरोध

Mandi News protest, Mgnrega Scheme, Shimla News, Sirmour News nps

प्रजासत्ता|
भारत एक लोकतंत्र देश है यहाँ सबको अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है। लोकतंत्र में निर्णायक जनता है और हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का अधिकार है यही लोकतंत्र की खुबसुरती है| यदि किसी के साथ अन्याय हो रहा है और वह न्यायपालिका, कार्यपालिका मीडिया या सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी आवाज को दूसरों तक पहुंचा रहा है तो इसमें गलत क्या है| लेकिन अपने हक की आवाज उठाने वालों को जयराम सरकार द्वारा दबाने का प्रयास किया जा रहा है|

kips1025

बता दें कि बीते दिन हिमाचल प्रदेश और केंद्र सरकार के फैसलों को लेकर विरोधात्मक बयान देने पर शिक्षक संगठनों और कर्मचारियों पर जयराम सरकार ने कार्रवाही का डर दिखाते हुए रोक लगाई है| अब शिक्षक संगठनों और कर्मचारियों पर लगाई गई रोक का विरोध होना शुरू हो गया है। आखिर उच्च शिक्षा निदेशक किस के इशारे पर यह आदेश जारी कर रहा है| बता दें कि प्रदेश के शिक्षक संगठन पिछले काफी समय से ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करवाने के लिए प्रयास कर रहे है, उन्हें हिमाचल द्विवस पर जयराम सरकार से उम्मीद थी लेकिन उनके हित में कोई घोषणा न होने से सोशल मीडिया और मीडिया के माध्यम से अपनी आवाज़ उठा रहे हैं| जिसमे सरकार की आलोचना हो रही है,,, ऐसे में सरकार की तरफ से शिक्षा विभाग द्वारा यह आदेश जरी कर दिए गये|

जयराम सरकार द्वारा जारी सरकारी कर्मचारियों और अध्यापक संघों से अभिव्यक्ति की आजादी छीनने वाले इस फरमान की प्रदेश में कड़ी निंदा होनी चाहिए। शिक्षक संगठनों के फेसबुक पेज पर भी सरकार के इस फैसले के खिलाफ खूब टिप्पणियां हो रही हैं। शिक्षकों का कहना है कि अभिव्यक्ति का अधिकार छीनना दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार के इस फैसले को तानाशाही की शुरुआत भी बताया जा रहा है।

उधर जयराम सरकार के इस फैसले को लेकर फेसबुक पर कांग्रेस सहित कई शिक्षक संगठनों के पेज पर सरकार के इस फैसले की कड़ी आलोचना हो रही है। नेता विपक्ष सहित कई कांग्रेस नेताओं ने सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने लिखा है कि यह पत्र कर्मचारियों से टकराव की शुरुआत है। उन्होंने उच्च शिक्षा निदेशक के इस पत्र को लोकतंत्र के खिलाफ बताते हुए तुरंत प्रभाव से वापस लेने की मांग की है। कर्मचारी संघों से बात के बजाय अनुशासनात्मक कार्रवाई लोकतंत्र की भावनाओं के खिलाफ है।

सीटू राज्य कमेटी ने कर्मचारियों के सोशल, इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में कर्मचारी विरोधी नीतियों पर बोलने पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का कड़ा विरोध किया है। सीटू के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा और महासचिव प्रेम गौतम ने कहा कि सरकार का यह निर्णय पूर्णतया तनाशाहीपूर्ण है तथा संविधान और लोकतंत्र विरोधी है। सरकार की यह अधिसूचना कर्मचारी विरोधी है। कर्मचारी आंदोलन को दबाने की साजिश है। इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

उन्होंने सभी ट्रेड यूनियनों और कर्मचारी यूनियनों से आह्वान किया है कि सरकार के इस निर्णय के खिलाफ एकजुट हों व इसका कड़ा विरोध करें। उन्होंने सरकार से मांग की है कि इस आदेश को तुरंत वापस लिया जाए, अन्यथा कर्मचारी व ट्रेड यूनियनें इसके खिलाफ सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे। कहा कि यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 19 का खुला उल्लंघन है। यह संविधान के अनुच्छेद 21 का भी उल्लंघन है। यह संविधान के अनुच्छेद 14 का भी उल्लंघन है। 

Tek Raj

संस्थापक, प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया प्रजासत्ता पाठकों और शुभचिंतको के स्वैच्छिक सहयोग से हर उस मुद्दे को बिना पक्षपात के उठाने की कोशिश करता है, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं और जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नज़रंदाज़ करती रही है। पिछलें 8 वर्षों से प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया संस्थान ने लोगों के बीच में अपनी अलग छाप बनाने का काम किया है।

Latest Stories

Watch us on YouTube