शिमला|
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के उपमंडल रोहडू़ के विभिन्न गांवों में जागरा(जागरण) महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान लोगों ने हाथों में मशाल लेकर देवता का अभिनंदन किया। जागरण महोत्सव प्राचीन प्रथा का अभिन्न हिस्सा है और अलौकिक शक्ति का एक अनोखा परिदृश्य है|
जागरा उत्सव की परंपरा सदियों से चली आ रही है| जागरे में विशेष रूप से लकड़ी की बिंडाली (मशाल) जलाकर लोगों ने देवता का अभिनंदन किया।
देव संस्कृति की इस प्रथा को पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है| देव संस्कृति के अनुसार हर व्यक्ति हाथ में मशालें लेकर अपनी उपस्थिती दर्ज करवाता है और प्रस्तुति पेश करता है. देव रीति-रिवाजों में झूमते लोग सुप्रसिद्ध देवलोक गीत “बरमां न जाए बिरसुआ बरमां न जाए” को खूब झूम झूम कर गाते हैं| पंचमी पर्व की पावन वेला पर मनाया जाने वाले इस उत्सव में शामिल हरेक व्यक्ति भाव-विभोर हो होता है| हजारों की संख्या में लोग यहां अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं|देवता का आशीर्वाद प्राप्त करने और गांव में सुख-समृद्धि लाने के लिए ग्रामीण रातभर पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुनों पर नाचते रहे।