Document

नगर निगम शिमला पर कब्जे का सपना : दाव पर भाजपा और कांग्रेस के इन नेताओं की साख

शिमला नगर निगम पर कब्जे का सपना, दाव पर भाजपा और कांग्रेस के इन नेताओं की साख

प्रजासत्ता|
नगर निगम शिमला की सत्ता पर कब्ज़ा करने का सपना देखने वाली भाजपा और कांग्रेस के कई बड़े नेताओं की साख दाव पर लगी है| जहाँ उपचुनाव में करारी शिकस्त के बाद जयराम सरकार अब नगर निगम शिमला के होने वाले चुनाव की तैयारियों में जुट गई। वहीँ कांग्रेस ने भी उपचुनाव में जीत का स्वाद चखने के बाद अपनी कमर कसना शुरू कर दिया है| ऐसे में विधानसभा चुनाव 2022 से पहले दोनों ही दलों के लिए यह बड़ा इम्तिहान होने वाला है।

kips1025

हिमाचल में मिशन रिपिट का दावा करने वाली सत्तारूढ़ भाजपा इससे पहले मंडी लोकसभा, जुब्बल कोटखाई, अर्की और फतेहपुर विधानसभा उपचुनाव के साथ-साथ सोलन और पालमपुर नगर निगम के चुनाव में हार के बाद रणनीति के तौर पर नगर निगम शिमला पर फिर से भगवा फहराने के लिए नए वार्डों के गठन का दांव चलने जा रही है। इसके लिए शहर के आसपास की कुछ पंचायतों को नगर निगम शिमला में मर्ज करने की तैयारी है। इसे लेकर सप्ताह के भीतर अधिसूचना भी जारी कर दी जाएगी।

बता दें कि राजधानी शिमला में नगर निगम चुनाव से पहले शहर में वार्डों की संख्या 34 से बढ़ाकर 37 करने की तैयारी है। इसके लिए कई बड़े वार्डों को तोड़कर दो भागों में बांटने पर चर्चा चल रही है। इसके लिए इन वार्डों की आबादी और क्षेत्र के आकार से जुड़ा रिकॉर्ड तैयार कर लिया है।

गौरतलब है कि नगर निगम शिमला के चुनाव अप्रैल या मई महीने में होने हैं। इन चुनाव में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और शहरी विकास मंत्री एवं स्थानीय विधायक सुरेश भारद्वाज के अलावा शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप की साख भी दांव पर रहेगी। बता दें कि कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली नगर निगम शिमला पर भारतीय जनता पार्टी ने वर्ष 2017 में पहली बार कब्जा जमाया। तब देश में मोदी लहर के बीच भाजपा के 22 पार्षद, कांग्रेस के 11 पार्षद और सीपीआई(एम) की 1 पार्षद चुनाव जीतकर आई थी। इससे पहले हर बार नगर निसगम शिमला पर कांग्रेस का कब्जा रहा है।

वहीं कांग्रेस ने भी नगर निगम शिमला के चुनाव के लिए तैयारियां तेज कर दी है। कसुम्पटी के विधायक अनिरुद्ध सिंह और शिमला ग्रामीण के विधायक विक्रमादित्य सिंह ने अपने कार्यकर्ताओं से बैठकें करना शुरू कर दी है, क्योंकि कसुम्पटी और शिमला ग्रामीण के कई क्षेत्र नगर निगम शिमला के अंतर्गत आते हैं। वहीँ पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के जाने के बाद अब उनके बेटे शिमला ग्रामीण के विधायक विक्रमादित्य सिंह के अलावा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर पर चुनाव को लेकर अहम जिम्मेवारी है|

उधर साल के अंत में विधानसभा चुनावों को देखते हुए अन्य दल भी इस चुनाव के लिए सक्रीय होने लगे हैं। जैसे-जैसे वक्त बीत रहा है। शिमला में चुनाव लड़ने के इच्छुक दावेदार काफी सक्रिय हो गए हैं और जनता के हमदर्द बनकर काम निकालने की कोशिशों में जुट गए हैं। ऐसे में कई नेता दोनों पार्टियों का समीकरण बिगाड़ सकते हैं।

Tek Raj

संस्थापक, प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया प्रजासत्ता पाठकों और शुभचिंतको के स्वैच्छिक सहयोग से हर उस मुद्दे को बिना पक्षपात के उठाने की कोशिश करता है, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं और जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नज़रंदाज़ करती रही है। पिछलें 8 वर्षों से प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया संस्थान ने लोगों के बीच में अपनी अलग छाप बनाने का काम किया है।

Latest Stories

Watch us on YouTube