ठियोग ।
हिमाचल प्रदेश अपनी देव संस्कृति और परंपराओं के लिए जाना जाता है। यहां की प्राचीन संस्कृति और धार्मिक अनुष्ठान आज भी लोगों को आकर्षित करते हैं। ऐसा ही एक आयोजन रविवार को ठियोग उपमंडल की घूंड रियासत के अंतर्गत शलौहा में देखने को मिला। यहां 80 साल बाद हुए शांद महायज्ञ के साक्षी हजारों लोग बने।
घूंड रियासत के शलौहा में शांद महायज्ञ का आयोजन धूमधाम से हुआ। ठाकुर अनिरुद्ध सिंह की अगुवाई में 20 देवठियों के कारदार और ग्रामीण इस धार्मिक अनुष्ठान में शामिल हुए। घूंड रियासत के शलौहा में रविवार को 80 साल बाद हुए शांद महायज्ञ में हजारों लोगों की भीड़ उमड़ी। देवता शिरगुल महाराज की धरती शलौहा में शांद महायज्ञ के दौरान घूंड रियासत की समस्त छबीशी कारदार और यहां के ठाकुर अनिरुद्ध
सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
शांद महायज्ञ में चार अन्य देवता – डोम देवता नमाणा (घूंड), देवी कढासन पालू, देवी जलसर कून (चरैण) और डोम देवता चरैण पालकी सहित शलौहा पहुंचे। इस महायज्ञ में 20 देवठियों के कारदार शामिल हुए।
पारंपरिक वाद्ययंत्रों और ढोल-नगाड़ों
की धुनों पर देवताओं का स्वागत और
आगमन समारोह हुआ। शनिवार दोपहर बाद तीन बजे से शुरू हुए इस शांद महायज्ञ में रात्रि 10 बजे से परिक्रमा (फेरा पुजन) शुरू हुई। रविवार सुबह 9:00 बजे से विधि-विधान से शिखा पूजन हुआ, जिसका साक्षी पूरा क्षेत्र बना। शांद महायज्ञ में आमजन की सुविधा के लिए बसों की व्यवस्था भी की गई थी। महायज्ञ में पहुंचे लोगों के लिए भोजन का प्रबंध भी किया गया था। इस तरह 14 मई 2023 का दिन क्षेत्र के लिए इतिहास के पन्नों में शामिल हुआ, जिसे अगले कई दशकों तक लोग याद रखेंगे।