शिमला ब्यूरो|
शनिवार को लद्दाख में हुई सड़क दुर्घटना में शहीद हुए हवलदार विजय कुमार गौतम को सोमवार को उनके पैतृक गांव डिमणी में पूरे राजकीय सम्मान के साथ लोगों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी। इससे पहले विजय कुमार का पार्थिव शरीर सुबह अन्नाडेल लाया गया। शहीद को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए लोक निर्माण विभाग मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी उपस्थित थे। आज सुबह विजय कुमार गौतम के पार्थिक शरीर को पहले शिमला पहुंचाया गया और फिर सड़क के रास्ते डिमणी ले जाया गया।
विजय कुमार पुत्र बाबूराम शर्मा शिमला ग्रामीण की ग्राम पंचायत नेहरा की तहसील सुन्नी के गांव डिमणी के रहने वाले थे। विजय के परिवार वालों को जैसे ही उनकी शहादत की खबर मिली, घर में मातम पसर गया। बलिदानी विजय कुमार के घर में उनके माता-पिता, पत्नी व दो बच्चे हैं। उनका बड़ा बेटा 6 साल का है, जबकि छोटा बेटा महज डेढ़ साल का है। धर्मपत्नी और परिवार का घर पर रो-रो कर बुरा हाल है और बच्चों को समझ नहीं आ रहा कि आखिर उनके पिता कहां चले गए?
विजय कुमार ने दाड़गी स्कूल से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। उसके बाद वह सेना में भर्ती हो गए थे। विजय बेहद ही गरीब परिवार से संबंध रखते थे। खेल में वह शुरू से ही अव्वल थे। स्कूल में राज्य स्तर पर उन्होंने कबड्डी व खो-खो खेला। सेना में भी कई मेडल इन्होंने खेल में जीते। सेना में कई मेडल जीते।
बता दें कि शनिवार को लेह से करीब छह किलोमीटर की दूरी पर नौमा तहसील की क्यारी जगह पर सेना का ट्रक अचानक खाई में जा गिरा। इसमें सेवा के 10 जवान सवार थे। इन्हीं 10 जवानों के बीच नायक विजय कुमार भी थे, जो इसी दुर्घटना में शहीद हो गए। लद्दाख जैसी मुश्किल जगह पर मां भारती की सेवा कर रहे विजय कुमार ने घर पर जल्द छुट्टियों में वापस लौटने की बात कही थी, लेकिन हर वादा निभाने वाले विजय कुमार अपना घर लौटने का वादा पूरा नहीं कर सके।
नायक विजय कुमार गरीब परिवार से संबंध रखते थे। उनकी मां ने बकरियां पालकर उनकी पढ़ाई का खर्चा निकाला और फिर बड़ी मेहनत के बाद उन्हें सेवा में भर्ती करवाया। विजय कुमार न केवल पढ़ाई में अव्वल थे, बल्कि खेलों में भी उनका रुझान था. साल 2004 में सेवा वे भारतीय सेना में भर्ती हुए।
भारतीय में भर्ती होते ही विजय कुमार ने न केवल अपने घर-परिवार की जिम्मेदारी संभाली बल्कि वे गांव के बच्चों को भी भारतीय सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करते थे। विजय कुमार जब भी छुट्टियों में आते, तो बच्चों को सेना में जाने की ट्रेनिंग देते और साथ ही उन्हें खेलों की भी जानकारी देते थे। विजय कुमार अपने स्कूल के वक्त में खुद भी उच्च कोटि के खिलाड़ी थे। मां भारती की सेवा में तैनात शहीद नायक विजय कुमार अब अपने परिवार को इस दु:ख में छोड़ गए हैं जो कभी खत्म नहीं हो सकेगा।