प्रजासत्ता|
राजधानी शिमला के डाउनडेल बस्ती में दिवाली की रात पांच साल के बच्चे को उठाकर ले जाने वाले आदमखोर तेंदुए को पकड़ने में वन विभाग और केंद्रीय वन्यजीव विभाग की टीम अभी तक नाकाम रहा है| बता दें कि घटना के बाद आसपास के गांवों में दहशत का माहौल बना है। बच्चे घर के बाहर नहीं निकल रहे हैं। डाउनडेल से तेंदुए द्वारा उठाए गए बच्चे के मामले काे डेढ़ सप्ताह बीत गया है। लेकिन अभी तक ना ताे तेंदुए की पहचान हाे पाई है और ना ही उसे पकड़ा गया है। मानवाधिकार आयाेग ने तेंदुए काे आदमखाेर घाेषित करने के बाद उसे जिंदा पकड़ने या फिर मारने के आदेश दिए हैं। इसके बावजूद वन विभाग और वाइल्ड लाइफ विंग ना ताे तेंदुए की पहचान कर पाया है और ना ही उसे पकड़ पाया है।
बता दें कि शिमला शहर में तीन महीने में तेंदुए ने दो बच्चों को अपना निवाला बनाया है। पहले सात साल की बच्ची और अब पांच साल के योगराज को तेंदुए का शिकार होना पड़ा था। दीवाली की रात घर के आँगन से तेंदुआ उसे उठा ले गया था और जंगल में ले जाकर उसे निवाला बना डाला था। खोजबीन के दौरान जंगल में मासूम का सिर सहित कुछ अवशेष पड़े मिले।
वहीँ घटना के बाद वन विभाग हरकत में आ गया था| वन विभाग ने डाउनटेल के आसपास 7 पिंजरे और 15 खुफिया कैमरे लगाए हैं। जिसके बाद पता चला है कि यहां एक नहीं, पांच तेंदुए घूम रहे हैं। इनमें तीन बच्चे और नर और मादा तेंदुआ है। डाउनटेल के अलावा, कनलोग में ये तेंदुए स्पॉट हुए हैं। रविवार को ये तेंदुए कैमरे में कैद हुए हैं। हालांकि, अब तक तेंदुआ पकड़ा नहीं गया है जिससे लोगों में खौफ बरकरार है।
गौरतलब है कि आदमखोर तेंदुए को पकड़ने के लिए शिमला पहुंची केंद्रीय वन्यजीव विभाग की टीम ने सोमवार को कनलोग के जंगल का निरीक्षण किया। इस दौरान जंगल में लगाए गए पिंजरों की लोकेशन बदली गई है। वन विभाग ने कनलोग और डाउनडेल एरिया में करीब आधा दर्जन पिंजरे लगाए हैं। अभी पिंजरों की संख्या नहीं बढ़ाई जा रही, लेकिन कुछ नए ट्रैप कैमरे लगाए जा रहे हैं।