प्रजासत्ता ब्यूरो |
राजधानी शिमला में लोकल रूटों पर निजी बसें के पहिये आज थम गए हैं। प्रदेश सरकार और परिवहन विभाग की ओर से मांगें न मानने पर निजी बस चालक-परिचालक यूनियन एक दिवसीय हड़ताल पर है। शिमला में 104 प्राइवेट बसों के पहिए थमे हुए हैं, इससे यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। शहर के अलग-अलग स्टॉपेज पर यात्री बेबस नजर आ रहे हैं, उन्हें बसें नहीं मिल रही है।
सरकारी बसें कम होने के चलते कुछ ही रूटों पर चल रही है। सुबह से यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। विशेषकर कर्मचारियों, विद्यार्थियों को भारी दिक्कतें झेलनी पड़ी हैं। लोग पैदल ही अपने गंतव्य तक पहुंचे। शहर के अलग-अगल बस स्टैंड में बसों के लिए यात्रियों की भीड़ लगी रही। बता दें कि शिमला शहर में जहां 80 सरकारी बसें चलती हैं, वहीं प्राइवेट बसों की संख्या 104 है।
शिमला निजी बस चालक-परिचालक यूनियन की मांग है कि सरकारी नौकरी में 50 फीसदी कोटा दिया जाए। यूनियन के प्रधान रूप लाल ठाकुर का कहना है कि उनके लिए किसी तरह की भी स्थाई पॉलिसी सरकार की ओर से नहीं बनाई गई है। अभी यह नियम है कि जो भी उम्मीदवार ड्राइवर और कंडक्टर का लाइसेंस बनाते हैं, वह HRTC की भर्ती में भाग ले सकते हैं, जबकि जो इतने वर्षों से प्राइवेट बसों में सेवाएं दे रहे हैं, उन्हें कोई भी कोटा नहीं दिया जा रहा है। विभाग द्वारा I Card जारी किए जाएं, मेडिकल ESI की सुविधा दी जाए। बस स्टैंड में रेस्ट रूम की सुविधा दी जाए।
महासचिव अखिल गुप्ता ने बताया कि एक साल से यूनियन प्रदेश सरकार के समक्ष अपनी मांगें उठा रही हैं लेकिन सरकार गंभीर नहीं है। 11 जुलाई को यूनियन ने सांकेतिक हड़ताल का एलान किया था लेकिन आरटीओ शिमला के आश्वासन के बाद हड़ताल टाल दी। आरटीओ के आश्वासन के बावजूद कोई राहत नहीं मिली। 5 अगस्त को यूनियन ने डीसी शिमला को मांगों को लेकर ज्ञापन और हड़ताल का नोटिस दिया था बावजूद इसके गंभीरता से नहीं लिया। सरकार और प्रशासन की बेरुखी से आहत यूनियन ने 16 अगस्त को एक दिवसीय हड़ताल का निर्णय लिया है। एक दिवसीय हड़ताल के बाद भी अगर सरकार मांगें नहीं मानती तो सितंबर में प्रदेश स्तरीय अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी। अगस्त के आखिर में होने वाली यूनियन की प्रदेश स्तरीय आम सभा में हड़ताल की रूपरेखा तय होगी।