प्रजासत्ता ब्यूरो शिमला|
केंद्र सरकार की ओर से बिजली संशोधन विधेयक-2021 के विरोध में हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन कर्मचारी बोर्ड मुख्यालय कुमार हाउस में प्रदर्शन किया। राज्य बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन 19 जुलाई को बिजली कर्मचारी और अभियंताओं की राष्ट्रीय समन्वय समिति के आह्वान पर बिजली बोर्ड मुख्यालय शिमला में बिजली कंपनियों के निजीकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए जमकर नारेबाजी भी की|
आरोप लगाया कि केंद्र सरकार बिजली कंपनियों के निजीकरण पर अड़ी है। 19 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में इस बारे में बिल लाया जा रहा है। इसमें विद्युत वितरण के लिए मौजूदा लाइसेसिंग प्रणाली को समाप्त करने का प्रावधान रखा गया है। उन्होंने कहा कि विद्युत वितरण के लिए लाइसेंस समाप्त करने का अर्थ होगा कि निजीकरण की आंधी में विद्युत वितरण का कार्य मनमाने ढंग से अपने पसंदीदा कॉरपोरेट घरानों और ठेकेदारों तक को दिया जाएगा। विद्युत वितरण जैसे अति संवेदनशील और तकनीकी से अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य को निजी घरानों और ठेकेदारों को इस तरह से सौंपा जाना ना विद्युत उद्योग के हित में है, न ही उपभोक्ता के हित में और न ही कर्मचारियों के हित में है।
यूनियन के राज्य अध्यक्ष कुलदीप सिंह खरवाड़ा ने कहा कि केंद्र सरकार आपदा को अवसर में बदल कर बिजली निजीकरण के प्रस्तावित बिजली संशोधन विधेयक को संसद के मानसून सत्र में पारित करवाने की तैयारी में है। उन्होंने कहा कि बिजली कर्मचारियों व अभियंताओं की राष्ट्रीय समन्वय समिति ने इस विधेयक को राष्ट्रविरोधी, उपभोक्ता, किसान व कर्मचारी विरोधी बताते हुए इसका राष्ट्रीय स्तर पर विरोध कर रही है।
विद्युत तकनीकी कर्मचारी महासंघ के कार्यकारिणी अध्यक्ष लक्ष्मण गुप्ता व संगठन सचिव कृष्ण कुमार ने कहा फील्ड में एक-एक कर्मचारी पांच-पांच ट्रांसफार्मर की देखभाल कर रहे हैं। काम के बोझ तले दबे फील्ड कर्मचारी मौत का ग्रास बन रहे हैं। आरोप लगाया कि बोर्ड से लगातार वार्ता होने के बावजूद मांगों की अनदेखी हुई हैं। अगर बोर्ड प्रबंधक वर्ग अब भी नहीं मानता है तो पूरे प्रदेश में वाक आउट किया जाएगा। कोरोनाकाल में फील्ड कर्मचारियों ने रात दिन अपनी जिम्मेदारी निभाई। इसके बावजूद बोर्ड प्रबंधक वर्ग ने अपना रवैया नहीं बदला।