Shimla Yellow Line Parking Scheme: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में नगर निगम की येलो लाइन पार्किंग योजना अक्सर कई वजह से विवादों में रही है। नगर निगम की येलो लाइन पार्किंग योजना को शुरू तो कर दिया गया है, लेकिन इसके संचालन को लेकर नगर निगम शिमला कहीं न कही उलझा हुआ लगता है।
नगर निगम शिमला (Municipal Corporation Shimla) द्वारा कभी तो पार्किंग को सीधे जनता को उपलब्ध करवाने की बात होती है, तो कभी इसके लिए टेंडर आयोजित कर दिए जाते हैं। जब टेंडर में ठेकेदार लोगों ने रुचि नहीं दिखाई तो अपने चहेतों को प्रकिंग सौंप दी गई है। ऐसे में पार्किंग के लिए जरूरत मंद लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर कोई अपनी समस्या के लिए सूचना या जानकारी लेना चाहता है तो उसे कई तरह के बहाने बना कर लेट लतीफी कर लटका दिया जाता है।
हाल ही में एक ऐसे ही एक मामले में राज्य सूचना आयोग (State Information Commission) ने राजधानी में पार्किंग संबंधी सूचना (Parking Information) न देने पर नगर निगम शिमला के जनसूचना अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी कर जबाब माँगा है। राज्य सूचना आयोग ने नोटिस में अधिकारी से पूछा है कि सूचना देने में देरी पर क्यों न उन पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाए। इसके अलावा सूचना मांगने वाले व्यक्ति को पांच हजार रुपये मुआवजा देने के भी आदेश दिए हैं।
जानकारी के अनुसार हिमलैंड के स्थानीय निवासी चमन गुप्ता की ओर से 14 अक्तूबर 2022 को नगर निगम से शहर के लिए बनाई पार्किंग पॉलिसी (Shimla Yellow Line Parking Policy) को लेकर आरटीआई के तहत सूचना मांगी थी। आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना को नगर निगम शिमला के सूचना अधिकारी लेट-लतीफी कर एक साल नौ महीने तक लटकता रहा। 25 दिसंबर 2022 को फर्स्ट अपीलेंट अथॉरिटी के पास आवेदन किया लेकिन यहां भी सूचना नहीं मिली।
आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना न मिलने के बाद चमन गुप्ता ने राज्य सूचना आयोग का जाने का फैसला किया। जानकारी अनुसार चमन गुप्ता ने 25 फरवरी 2023 को राज्य सूचना आयोग के पास अपील की।
दरअसल गुप्ता परिवार की तरफ से यल्लो लाइन में पार्किंग (Yellow Line Parking Policy) लेने के लिए आवेदन किया गया था, लेकिन उन्हें किसी न किसी वजह से लटकाया जा रहा था। जो उन्हें आज तक उपलब्ध नहीं हो पाई है। ऐसे में उन्होंने ढली से वाया मल्याणा, पंथाघाटी-टुटीकंडी तक रोड साइड पार्किंग को लेकर भी सूचना मांगी थी।
उन्होंने निगम से पूछा था कि क्या इस सड़क को पार्किंग के लिए चिह्नित किया है या नहीं। कुल कितनी रोड साइड पार्किंग चिह्नित की हैं और इसकी फीस कितनी है, इसे लेकर भी सूचना मांगी थी। जब जानकारियां नहीं मिली तो उन्हें राज्य सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
चमन गुप्ता की ओर से इस मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता अनिल सरस्वती की। चमन गुप्ता की और से दी गई जानकारी और राज्य सूचना आयोग ओर से जारी अंतरिम आदेश में कहा गया कि नगर निगम एक साल 9 महीने बाद भी पार्किंग को लेकर मांगी गई सूचना देने में विफल रहा है।
राज्य सूचना आयोग ने आदेश में यह भी कोट किया कि जनहित से जुड़ी इस सूचना को देने में नगर निगम शिमला द्वारा लापरवाही (Negligence of Municipal Corporation Shimla) बरती जा रही है।
ऐसे में सूचना आयोग ने 12 सितंबर को हुई सुनवाई में नगर निगम को दो हफ्ते के भीतर पार्किंग संबंधी पूरी सूचना देने के आदेश दिए हैं। साथ ही जन सूचना अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए इसके अलावा आवेदनकर्ता को पांच हजार रुपये मुआवजा राशि देने के भी आदेश दिए हैं।