अमित ठाकुर | परवाणू
परवाणू में सरकारी सेबों से फैलने वाली गंदगी पर अंकुश लगाने में सरकार व विभाग असमर्थ नज़र आ रहे हैं। गौर हो की हिमाचल में सेब की नीलामी के लिए परवाणू के अलावा सरकार व् एचपीएमसी के पास कोई और विकल्प नहीं है। जिस कारण परवाणू में हर वर्ष गले सड़े सेबों की गंदगी से शहरवासियों को जूझना पड़ता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार हिमाचल में सेब की प्रोसेसिंग के केवल दो ही यूनिट है जिनमे एक परवाणू तथा दूसरा जरोल ( सुंदरनगर ) में है जो की सेब की खपत के लिए नाकाफी है ! इनमे परवाणू यूनिट की खपत क्षमता 18000 मीट्रिक टन तथा जरोल यूनिट की खपत क्षमता 3000 मीट्रिक टन है जबकि अब तक 65000 मीट्रिक टन सेब ख़रीदा जा चुका है ।
एचपीएमसी द्वारा आने वाले सेब की नीलामी परवाणू में की जाती है परन्तु नीलामी के बाद लदानी खराब सेब को छांट कर निकाल लेता है तथा साफ सुथरा सेब लेकर चला जाता है। हालाँकि एचपीएमसी का कहना है की उन्होंने खराब सेब को ट्रेक्टर में डाल कर शहर से बाहर गिराने की हिदायत दी है। परन्तु ट्रैक्टर द्वारा भी यह सेब शहर के बाहर गिराने की जगह शहर में ही किसी नाले या खड्ड में गिरा देते हैं जिस से पानी भी दूषित होता है।
इस बारे में एचपीएम के प्रबंधक विनीत कौशिक ने बताया की सरकार द्वारा परवाणू के आसपास स्थान चिन्हित किये गए हैं जिन्हे लदानियों द्वारा छटाई के लिए तैयार किया जायेगा। उन्होंने बताया की एपीएमसी द्वारा टर्मिनल मंडी में फूल मंडी बनाने के कारण जगह की समस्या आनी शुरू हो गयी है जिस पर सरकार प्रयास कर रही है की इस का जल्द हल निकाला जायेगा।