प्रजासत्ता|
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सोलन की अदालत ने 7 साल की नाबालिग बच्ची से दुष्कर्म व निर्मम हत्या के मामले में दोषी को फांसी की सजा सुनाई है। न्यायधीश परविंदर सिंह अरोड़ा की अदालत में तमाम सबूतों व गवाहों को मद्देनजर रखते हुए आरोपी आकाश को दोषी पाया गया है। अदालत ने दोषी को आईपीसी की धारा-302, 376 व POCSO एक्ट की धारा- 6 व 10 के तहत दोषी करार दिया है।
बता दें कि 7 साल की नाबालिग बच्ची के दुष्कर्म, हत्या व POCSO एक्ट की धाराओं के तहत अदालत ने आरोपी आकाश पुत्र पट्टे लाल निवासी ग्राम हंसोलिया, पीओ. संधोली, तहसील बिलग्राम, जिला हरदोई उत्तर प्रदेश को 25 हजार का जुर्माना व फांसी की सजा सुनाई है। दोषी को जुर्माना अदा न करने की सूरत में 6 माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। अदालत के फैसले में दोषी को बच्ची के परिजनों को 12 लाख 50 हजार की राशि मुआवजा के तौर पर देनी होंगे।
सोलन में अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायधीश की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने इस जघन्य अपराध को रेयर ऑफ रेयरेस्ट नेचर करार दिया है। अदालत ने माना कि इस तरह के अपराध में आजीवन कारावास की सजा अपर्याप्त होगी। कोर्ट ने फांसी की सजा के आदेशों को कन्फर्मेशन के लिए उच्च न्यायालय भेज दिया है।
जिला न्यायवादी मोहिंदर कुमार शर्मा ने बताया कि अभियोजन मामले के अनुसार 20.02.2017 को तहसील बद्दी थाना के अधिकार क्षेत्र में आरोपी ने 7 साल की उम्र की बच्ची के निजी हिस्से में लकड़ी के टुकड़े डालकर गंभीर यौन उत्पीड़न किया, और बच्ची की हत्या को भी अंजाम दिया। इस मामले की जांच पुलिस थाना बद्दी के एसआई बहादुर सिंह ने की थी जो वर्तमान में सी.आई.डी. में निरीक्षक के पद पर तैनात हैं।
इस मामले में आरोपी आकाश पुत्र पट्टे लाल निवासी ग्राम हंसोलिया, पीओ. संधोली, तहसील बिलग्राम, जिला हरदोई उ.प्र को गिरफ्तार किया गया था। जिला न्यायवादी सुनील दत्त वासुदेवा ने इस मामले की पैरवी की और दोषी को उक्त सजा दिलाने के साथ-साथ सात वर्षीय बच्ची व उसके परिजनों को न्याय दिलाया है।