प्रजासत्ता।
कसौली विधानसभा में बीते दो चुनाव के नतीजों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला रहा है। हालांकि दोनों ही दफा बड़े कम वोटों के अंतर से भाजपा की जीत हुई, और अब एक बार फिर उसी तरह की स्थितियां बनती नजर आ रही है। हालांकि जहां इस बार एंटी इनकंबेंसी भाजपा के खिलाफ है, तो वहीं कांग्रेस को भी अपनों की चुनौतियों से पार पाना कठिन होगा।
जहां कसौली से भाजपा की तरफ से मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री और तीन बार के विधायक राजीव सैजल उम्मीदवार होंगे। वहीं, कांग्रेस की तरफ से टिकट को लेकर कई दावेदार है। लेकिन अभी भी सबमे मजबूत दावेदार विनोद सुल्तानपुरी को माना जा रहा है। हालांकि यह देखना अभी दिलचस्प होगा कि दो बार नजदीकी हार के बाद कांग्रेस यहां से किसे अपना उम्मीदवार बनाती है।
मौजूदा हालातों और सूत्रों से प्राप्त सर्वे को देखते हुए कसौली में इस बार कांग्रेस, भाजपा से मजबूत स्थिति में हैं। जहां तीन बार के विधायक और मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर है। वहीं कांग्रेस के लिए भी भाजपा से ज्यादा अपनो की भीतर घात का खतरा हैं। यही कारण है कि कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली कसौली विधानसभा में तीन बार भाजपा ने अपना परचम लहराया। जिसमे से दो बार बड़े कम वोटों के अंतर से कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा। पिछले 15 वर्षों से जहां भाजपा लगातार अपना कुनबा मजबूत करने में डटी हुई है। वहीं कांग्रेस इस समय बिना पायलट का जहाज है।
कांग्रेस हाई कमान द्वारा सभी कार्यकारणीयों को भंग करने के बाद कार्यकर्ताओं और कांग्रेस से जुड़े लोगों को यह समझ नही आ रहा है कि आखिर जाए तो जाए कहां। सत्ता पक्ष और मौजूदा विधायक को किन मुद्दों पर घेरा जाए ताकि उसका सीधा फायदा चुनाव में मिल सके। या यूं कहे कि ब्लॉक नेतृत्व विहीन होने के कारण कसौली में कांग्रेस बिखरी नज़र आ रही है। यदि समय रहते कोई ठोस कदम न उठाए गए तो कांग्रेस के लिए चुनाव जीतने किया राह और भी मुश्किल हो जाएगी । ऐसे में कांग्रेस के लिए चिंता वाली बात है। क्योंकि भाजपा से तो तब लड़ाई, होगी जब कांग्रेस खुद के नेताओं की गुटबाजी से बाहर निकल पाएगी।