कसौली|
जिसकी लाठी उसकी भैस यह कहावत सोलन ज़िला की ग्राम पंचायत कोट बेजा की कार्य प्रणाली को लेकर सच साबित होती नजर आ रही है। दरअसल यहां पर पिछले दिनों से पंचयात द्वारा करवाये जा रहे विकास कार्य मे लगी जेसीबी मशीन क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। जिसका वीडियो साक्ष्य भी मौजूद है।
दरअसल पंचायत द्वारा विकास कार्य करवाने में लगाई गई जेसीबी मशीन पंचायत सचिव के परिवार के किसी सदस्य की बताई जा रही है। जबकि नियम के मुताबिक कोई भी पंचायत प्रतिनिधि,पंचायत कर्मचारी अपनी पंचायत में वेंडर नहीं बन सकते।
प्रजासत्ता न्यूज़ टीम ने जब जेसीबी पर अंकित मोबाईल नंबर पर सम्पर्क किया तो कोट बेजा में कार्यरत सचिव सुरेश कुमार से बातचीत हुई। उन्होंने बताया कि जेसीबी मेरे परिवार की है। जब उनसे जानकारी लेनी चाही की नियम के मुताबिक क्या आप उसी पंचायत में काम कर सकते हैं, जहाँ आप कार्यरत है तो इसको लेकर उन्होंने कहा कि उनकी मशीन को पंचायत प्रधान बुलाया है। अगर आप कुछ करना चाहते हैं तो कर लें, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।
जिस तरह से सचिव ने सवाल पूछने पर जबाब दिए, उससे लगता है कि पंचायत की देखरेख में ही सब हो रहा है। कुछ भी हो यहाँ पर सारे कायदे कानून को दरकिनार कर सचिव की जेसीबी को पंचायत में हो रहे विकास कार्यों मे लगाकर उसे पंचायत प्रतिनिधियों ने खुश करने की कोशिस की है।अब देखना होगा कि विभाग इस मामले की जांच कर सच्चाई सामने लाता हैं, या फिर सचिव के परिवार की जेसीबी लगाने को सही उचित करार देता है।
वहीँ इस मामले को लेकर पंचायत प्रधान से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें जानकारी नहीं है कि यह मशीन किसकी है। उन्होंने कहा कि भागुड़ी पंचायत के प्रधान से यह मशीन मंगवाई है। उन्होंने यह भी जानकारी दी की विधायक निधि के आए पैसे से यह कार्य करवाया जा रहा है। बता दें कि कोट बेजा पंचायत में कार्यरत सचिव सुरेश कुमार भागुड़ी पंचायत में तैनात है। इसके अलावा कोटबेजा पंचायत अतिरिक्त कार्यभार भी उन्हें दिया गया है।
वहीँ इस मामले को लेकर जब विकास खंड अधिकारी धर्मपुर मुकेश कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मीडिया के माध्यम से यह मामला सामने आया है। मामले की जाँच की जाएगी और उचित कार्रवाही अमल में लाई जाएगी।
बता दें कि इससे पहले भी कोट बेजा पंचायत अपने कार्यप्रणाली की वजह से चर्चा में रही है। बीते वर्ष का एक मामला था जब विकास कार्य के लिए आए सरकारी सीमेंट के 25 बैग पत्थर बन गए थे मामला मीडिया में उठा तो पंचायत प्रतिनिधियों ने उसे ठिकाने लगा दिया। जाँच का जिम्मा पंचायत सचिव को सौंपा गया लेकिन जाँच की रिपोर्ट देंने के बाद वहा अपना तबादला करा कर चला गया।