अमित ठाकुर (परवाणू)
हिमाचल प्रदेश में निजी स्कूलों (Private School Fee issue) की मनमानी फीस वसूलने के मामले अब लगातार बढ़ते जा रहे है। करोना महामारी के चलते कई लोगों की नौकरियां चली गई और सभी को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है इस सब में मध्यम वर्गीय परीवारो को सबसे अधिक आर्थिक नुकसान हुआ। इसी बीच स्कूलों की बढ़ती फ़ीस से अभिभावको को बहुत भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। परवाणू की जनता का कहना है प्रदेश सरकार को निजी स्कूलों के ख़िलाफ़ मांगी जा रही बढ़ती अड्मिशन फ़ीस एवं मासिक फ़ीस के लिए कानून बनाना चाहीए और ऐसे स्कूलों पर कानूनी कार्यवाही होनी चाहीए यदि सरकार इस पर कोई कार्यवाही नहीं करती है तो प्रदेश भाजपा सरकार एवं निजी स्कूलों के ख़िलाफ़ एक बड़ा आंदोलन होगा और आने वाले विधानसभा चुनावों में वर्तमान जयराम सरकार को इसकी भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी।
आज इस करोना महामारी के चलते सभी अभीभावक आर्थिक संकट का सामना कर रहे है ऐसे में स्कूलों द्वारा अड्मिशन फीस और मासिक फ़ीस को लेकर अभिभावकों का शोषण किया जा रहा है। बीते कुछ समय से छात्र अभिभावक लगातार इस मुद्दे को उठा रहे हैं परंतु सरकार व प्रशाशन को कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा।
परवाणू की जनता नें सरकार से मांग की है कि ट्यूशन फीस को छोड़ अन्य सभी तरह के चार्जिज पर रोक लगाने के लिए तुरन्त अधिसूचना और आदेश जारी किए जाने चाहीए एवं किसी भी प्रकार की कोई अड्मिशन फ़ीस नहीं लेनी चाहीए। यदि कोई भी स्कूल इस प्रकार का कार्य करते है तो तुरंत उन पर कार्यवाही होनी चाहीए एवं उन सभी स्कूलों की मान्यता भी रद कर देनी चाहिए। इस फैसले से निजी स्कूलों द्वारा वसूले जा रहे चार्जिज को कानूनी रूप मिल जाएगा।
परवाणू कि जनता का मानना है कि निजी स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग 6 लाख छात्रों के 10 लाख अभिभावकों को स्कूलों की एनुअल चार्जिज और अन्य शुल्कों सहित पूर्ण फीस उगाही का बहिष्कार करना चाहीए अथवा इस आंदोलन में एकजुट होकर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।