धर्मपुर|
जी हाँ, आप सोच रहे होंगे कि यह कैसी बात हुई….. लेकिन जिन तस्वीरों को हम आपको दिखा रहे हैं,,.. वह तो चीख़ चीख कर यही बात बयाँ कर ही है| टीकाकरण अभियान को सफ़ल बनाने में इनका नाम आए न आए लेकिन कोरोना संक्रमण फैलाव में इनकी भूमिका बढ़ जाती है| अपने सामने आप जिन तस्वीरों को देख रहे हैं वह बीते कल की हिमाचल के स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल के गृह क्षेत्र धर्मपुर की है| तस्वीरें ही नही साहब…. आप वीडियो भी देखे लीजिए … धर्मपुर के समीप टीवी अस्पताल में बने कोरोना टीकाकरण सेंटर में सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना एसओपी की किस तरह से धज्जियाँ उड़ाई जा रही है| लोगों की भीड़ इस कदर इक्कठा हुई है जैसे वह यहाँ मुफ्त में वेक्सीन लगवाने के लिए नही…..बल्कि… मुफ्त में कोरोना की बीमारी लेने आये हो|
ऐसे हालातों में जब कोरोना की दूसरी लहर ने देश में कहर मचाया हो और तीसरी लहर के आने की भी चेतावनी डब्ल्यूएचओ और भारतीय स्वस्थ्य मंत्रालय ने दी हो है… तब लोग जागरूक होने के बदले इस तरह की ना समझी वाली हरकतें करते नजर आ रहे हैं| यह यहीं की बात नही बल्कि कई अन्य जगह भी इस तरह की तस्वीरे नजर आती होंगी|
टीकाकरण सेंटर मे तैनात पुलिस जवान और स्वास्थ्य कर्मचारी व्यवस्था बनाने की कोशिश करते हैं बार-बार लोगों से सोशल दुरी बनाने की अपील करते हैं लेकिन लोग है कि मानते नहीं|
इस टीकाकरण सेन्टर में यह एक दिन की बात नही बल्कि हर रोज इसी तरह का नजारा नजर आता है| ऐसे में भीड की वजह से बिना बुकिंग के लोग वेक्सिन लगवा कर निकल जाते हैं इससे उन लोगों के लिए भी परेशानी हो रही है जिन्होंने पहले से वेक्सीन की बुकिंग करवा रखी है| जिससे वहां मौजूद स्वास्थ्य कर्मचारियों पर लोगों में खासा रोष नजर आता है हालांकि इसमें उनकी कोई गलती नही होती |
अगर गलती है तो सरकार और उसके द्वारा बनाई गई टिकाकरण निति की| क्योंकि बुकिग के अलावा बिना बुकिंग के भी वेक्सीन लगवाने की घोषणा कर दी गई जबकि इसके लिए उनके पास कोई ठोस योजना नहीं थी कितने लोगों को प्रतिदन बुकिंग के आधार पर और कितने लोगों को बिना वुकिंग के वेक्सीन लगेगी| इतना ही नहीं 18 वर्ष से उपर वालों के लिए भी वेक्सीन लगवाने की घोषणा कर दी गई लेकिन यहाँ सेन्टर पर वेक्सीन लगभग 100 या 110 डोज मिलती है और वेक्सीन लगवाने वालों की संख्या इससे कहीं जयादा होती है|
कंपनियों और अन्य कार्य क्षेत्रों के अलावा कॉलेजों में भी एडमिशन के लिए वेक्सीन लगवाना जरुरी कर दिया गया है| मतलब जब तक उन्हें वेक्सीन नही लगती उन्हें अपने कार्यक्षेत्र या कॉलेज के अन्दर प्रवेश की अनुमति नही है| ऐसे में वह लोग पिस रहे हैं जो रोज वेक्सीन लगाने की चाह में आते हैं और उन्हें सेन्टर से बिना वैक्सीन लगवाए ही लौटना पड़ता है ऊपर से कुछ रसुकदार अपनी पहुच का फायदा उठा कर कुछ ही देर में टीकाकरण करवा कर निकल जाते हैं| कुछ लोगों को तो इसलिए समस्या भी आ रही है रोज रोज निजी क्षेत्र में काम करने वालों को छुट्टी भी नही मिलती|और इअसे समय में जब उनके पास खाने के लाले पड़े हो रोज रोज छुट्टी कर अपनी नौकरी नहीं गवाना चाहते| ऐसे में वहां मौजूद लोग कभी कभी भड़क भी जाते हैं|
बहरहाल सरकार कब और कैसे इस व्यवस्था को सही करेंगी कुछ कहा नही जा सकता लेकिन इस तरह की घटनाए सरकार के न दावों की पोल खोलती नजर आ रही है जिसमें वहा यह कहती नजर आती है की कोरोना टीकाकरण में हमने बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है|