Document

सोलन के साधुपुल में 12 वर्ष बाद भी स्थापित नहीं हो सका पतंजलि का उद्योग,कौड़ियों के भाव दी करोड़ों की जमीन

सोलन के साधुपुल में 12 वर्ष बाद भी स्थापित नहीं हो सका पतंजलि का उद्योग,कौड़ियों के भाव दी करोड़ों की जमीन

प्रजासत्ता ब्यूरो|
जिला सोलन के साधुपुल में पतंजलि ट्रस्ट को लीज पर दी गई 96 बीघा जमीन को अभी भी उद्योगों के शुरू होने का इंतजार है। इस जमीन को लेकर समय-समय पर विवाद होते रहे और समाधान भी निकले। लेकिन 12 सालों का समय बीत जाने के बाद भी वहां कोई उजियारा होता नज़र नहीं आ रहा है। जनवरी 2010 में धूमल सरकार ने बाबा रामदेव को सोलन के साधुपुल में कौड़ियों के भाव 28 एकड़,,,,, (करीब 96 बीघा) भूमि लीज पर पतंजलि योगपीठ का दूसरा केंद्र हिमाचल में स्थापित करने को दी थी। जून 2010 में बाबा रामदेव ने मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की मौजूदगी में भूमि पूजन और शिलान्यास भी किया।

kips1025

उसके बाद हिमाचल प्रदेश में सरकार बदली तो जनवरी 2013 में नई कांग्रेस सरकार ने रामदेव को गैरकानूनी तरीके से लीज पर दी गई जमीन की जांच शुरू की। फरवरी 2013 में राजस्व विभाग ने लीगल एडवाइज के बाद मामला राज्य मंत्रिमंडल के सामने रखा और वीरभद्र सिंह की कैबिनेट ने लीज डीड रद्द कर दी। 22 फरवरी 2013 को डीसी सोलन ने लीज रद्द करने का आदेश पतंजलि योगपीठ को सुनाया, और एसडीएम कंडाघाट ने पुलिस की मदद से पुरे परिसर को अपने कब्जे में लिया।

इसके बाद वीरभद्र सरकार की ओर से पंतजलि योगपीठ की जमीन की लीज रद्द करने के खिलाफ बाबा रामदेव ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। दोनों में विवाद बढ़ता रहा लेकिन जाते-जाते वीरभद्र सरकार ने बाबा राम देव की कम्पनी को एकमुश्त लीज पर जमीन दे दी थी। वीरभद्र सरकार ने जमीन की लीज मनी 1.19 करोड़ सालाना तय की थी। कांग्रेस सरकार के लीज नियमों के तहत सरकार को 115 करोड़ की अतिरिक्त आय होनी थी। इसके बाद पतंजलि योगपीठ ने सरकार से लीज मनी कम करने की गुहार लगाई थी। कुछ समय बितने के बाद प्रदेश की सत्ता पर भाजपा की सरकार फिर से काबिज हुई। वर्ष 2018 में जयराम सरकार ने फिर एक बार बाबा रामदेव पर मेहरबानी दिखाई।

सरकार ने साधुपुल में 96 बीघा जमीन मार्केट रेट के स्थान पर 2 करोड़ 39 लाख 4,720 रुपये एकमुश्त देकर 99 साल के लिए पतंजलि योगपीठ को देने का निर्णय लिया। वर्तमान सरकार इस पर क्या निर्णय लेती है यह आने वाला वक्त ही बतायेगा। लेकिन जिस उदेश्य के लिया ये भूमि दी गई थी वह आज भी पूरा होता हुआ नजर नहीं आ रहा। पतंजलि योगपीठ इस जगह पर हर्बल गार्डन, फल विधायन संयंत्र,आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण से संबंधित ईकाई पतंजलि ट्रस्ट की ओर से स्थापित करना चाहता था। जिससे प्रदेश से जुड़े हजारों लोगों को रोजगार के अवसर मिलने थे। बाबजूद इसके उन सबके आरमान 12 वर्षों से दोनों सरकारों के फैंसलों के बीच पिस रहें हैं।

कहावत हैं गेहूं के साथ घुन भी पिस्ता है लेकिन यहाँ तो आम लोग बार-बार पिस रहें हैं। एक तरफ बढ़ती महंगाई और उस पर प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी चिंता का विषय है। इन सभी के बीच पिस रहे लोग आज भी उद्योग लगने और उससे मिलने वाले रोजगार का सपना पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं।

Tek Raj

संस्थापक, प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया प्रजासत्ता पाठकों और शुभचिंतको के स्वैच्छिक सहयोग से हर उस मुद्दे को बिना पक्षपात के उठाने की कोशिश करता है, जो बेहद महत्वपूर्ण हैं और जिन्हें मुख्यधारा की मीडिया नज़रंदाज़ करती रही है। पिछलें 8 वर्षों से प्रजासत्ता डिजिटल मीडिया संस्थान ने लोगों के बीच में अपनी अलग छाप बनाने का काम किया है।

Latest Stories

Watch us on YouTube