सोलन|
जिला सोलन के बद्दी क्षेत्र में 16 वर्षीय नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने के दोषी को पोक्सो एक्ट के तहत 12 साल, आईपीसी 363 के तहत 3 साल और आईपीसी 366A 5 साल के कारावास व 10 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई गई है। जुर्माने का भुगतान नकरने पर दोषी को चार माह किस्जा अतरिक्त भुगतनी होगी। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डा. परविंदर सिंह अरोड़ा (पोक्सो कोर्ट सोलन) ने यह सजा सुनाई है। दोषी मणि कश्यप पुत्र अशोक कुमार, निवासी ग्राम एवं डाकघर चंदोसी, विष्णु विहार कॉलोनी, तहसील जराहीगेट, जिला संभल, (उ.प्र.)का रहने वाला है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, वर्ष 2018 में घटना के समय पीड़िता की उम्र 16 वर्ष थी। आरोपी बद्दी थाना क्षेत्र के अपने घर में करीब दो साल से किराए पर रह रहा था। 01.01.2018 को, आरोपी ने उससे कहा कि वह उसे पसंद करता है और उससे शादी करना चाहता है। उसने आरोपी को मना कर दिया, लेकिन आरोपी ने बार-बार उससे दोस्ती और शादी के बारे में पूछा। 17.06.2018 को आरोपी उसे अपने कमरे में ले गया और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया। दिनांक 19.06.2018 को आरोपी उसे जबरन अपनी भाभी के घर पंजाब ले गए, जहां वे एक दिन रुके और आरोपी ने उसके साथ जबरन यौन संबंध बनाए, दिनांक 20.06.2018 को, वे भाभी के घर से निकल गए, जहां आरोपी उसे ले गया था।
आरोपी युवक ने एक महीने से अधिक समय तक अलग-अलग जगहों पर उसके साथ यौन संबंध बनाए। वह अपने पिता से बात करना चाहती थी लेकिन आरोपी ने मना कर दिया। एक दिन आरोपी मान गया और उसके बाद उसने अपने पिता से फोन पर बात की। 26.07.2018 को, युवती आरोपी के साथ बद्दी आई और पुलिस ने टोल टैक्स बैरियर के पास उसे रोक लिया। पुलिस ने उसे उसके पिता को सौंप दिया। उसके पिता की शिकायत पर आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 और पोक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत मामला दर्ज कर थाना बद्दी में दर्ज किया गया था। पुलिस ने मामले की जांच की और पीड़ित बच्चे का बयान भी न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जांच के दौरान दर्ज किया।
अभियोजन पक्ष की ओर से मामले का संचालन सुनील दत्त वासुदेव, विशेष लोक अभियोजक द्वारा किया गया था। अदालत ने तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पीड़िता को राहत और उसके पुनर्वास के लिए मुआवजे के रूप में 5,00,000 रुपये का भुगतान करने की भी सिफारिश की है। मुआवजे की राशि की 80% राशि पीड़ित के नाम एफडीआर के रूप में जमा की जाएगी और 20% राशि पीड़िता के पक्ष में उसके तत्काल पुनर्वास के लिए तुरंत वितरित की जा सकती है।