सोलन।
सोलन के बसाल में अवस्थित विवेकानन्द पुस्कालय में डॉ. अंजू बाला की पुस्तक ‘यशपाल के साहित्य में मार्क्सवादी कला चिंतन’ का प्रोफ़ेसर रामनाथ मेहता के कर कमलों द्वारा विमोचन किया गया। इस आलोचनात्मक पुस्तक में डॉ.अंजू बाला ने यशपाल के साहित्य में सामाजिक, राजनीतिक, मनोवैज्ञानिक, भौतिकवादी और मार्क्सवादी कला चिंतन को उजागर करने का उपक्रम किया है।
यशपाल की साहित्यिक दृष्टि मूलतः मार्क्सवादी दर्शन से अनुप्राणित रही है। इसीलिए उन्होंने अपने लेखन में द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद, मार्क्सवाद के आर्थिक आधार मार्क्सवाद और राजनीति वैज्ञानिक समाजवाद को भली-भाँति स्पष्ट किया है । उनके साहित्य का विश्लेषण कई समीक्षकों ने उन्हें मार्क्सवादी लेखक के रूप में ही प्रतिष्ठित करने का प्रयास किया है। उनके साहित्य में समाजवाद और यथार्थवाद के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई देती है।
प्रोफ़ेसर रामनाथ मेहता हिन्दी साहित्य के लेखक, कवि, आलोचक एवं बहुचर्चित व्यक्तित्व हैं और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय सांध्यकालीन अध्ययन केंद्र शिमला से प्रोफ़ेसर हिन्दी विभाग से सेवानिवृत हुए हैं। इस सुअवसर पर तृप्ता मेहता, डॉ. सुरेन्द्र शर्मा, डॉ. जगदीश कैंथला, डॉ. आशा शर्मा, डॉ. आशा कौंडल, डॉ. तारा और टेक चंद उपस्थित रहे। पुस्तक मनीष पब्लिकेशन्स दिल्ली से प्रकाशित हुई है। इस सृजनात्मक उपलब्धि के लिए प्रोफ़ेसर रामनाथ मेहता ने डॉ. अंजू बाला को बधाई दी और अपना आशीर्वाद प्रदान कर उज्ज्वल भविष्य के लिए मंगलकामनाएं भी प्रदान दी।
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