सोलन ब्यूरो |
BSL-3 Lab In CRI Kasauli : केंद्रीय अनुसंधान संस्थान कसौली (CRI Kasauli) में अब कोरोना जैसे रोगाणुओं व जीवाणुओं पर अनुसंधान के लिए संस्थान को अन्य राज्यों में नहीं जाना पड़ेगा। क्योंकि सीआरआई में ही जल्द ही बीएसएल-3 स्तर की लैब की सुविधा मिल जाएगी। कसौली में बीएसएल-3 स्तर की हिमाचल की पहली (BSL-3 Lab) लैब होगी, जो प्रदेश के लिए किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। यह शोध स्वास्थ्य के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाएंगे और जल्दी ही दवाएं भी निर्मित की जा सकेंगी।
यह लैब राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के अंतर्गत काम करेगी। बीएसएल 3 प्रयोगशाला वन हेल्थ दृष्टिकोण के साथ महामारी की तैयारी व रोग निगरानी के लिए क्षमता को मजबूत करेगी। मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने वर्चुअल माध्यम से बीएसएल लैब का शिलान्यास किया। इस मौके पर वर्चुअल माध्यम से राज्य स्वास्थ्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल और भारती परवीन पवार भी जुड़े। जबकि सीआरआई में शिमला संसदीय क्षेत्र के सांसद सुरेश कश्यप भी मौजूद रहे।
उल्लेखनीय है कि संस्थान में अभी तक वायो सेफ्टी लेवल-3 (वीएसएल-3) लैब की सुविधा नहीं थी, जिस कारण कोरोना वायरस स्तर के रोगाणुओं व जीवाणुओं पर अनुसंधान करने के लिए संस्थान को समस्याएं आती थीं। अब बीएसएल लैब की सुविधा मिलने से संस्थान में ही नए वायरस व वैक्टीरिया पर अनुसंधान करने की सुविधा मिल जाएगी और वैक्सीन का निर्माण करना आसान होगा। इस लैब में कोरोना जैसे वायरस को रखने व उन पर अनुसंधान करने की आसानी होगी। बीएसएल 3 प्रयोगशाला की सुविधा होने से कौन से राज्य में कौन सा वायरस व बीमारी फैल रही है, उसका पता सीधे राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र दिल्ली में लगेगा।
क्या है वीएसएल-3 स्तर (BSL-3 Lab In CRI Kasauli)की प्रयोगशाला
जैव सुरक्षा स्तर-3 (BSL-3 Lab) उस सावधानी या तैयारी को कहते हैं, जिसमें खतरनाक रोगाणुओं व जीवाणुओं (वायरस व बैक्टीरिया) को प्रयोगशालाओं के अंदर रखा जाता है। इस स्तर की लैब में दूसरे देशों से आए या फिर उन नए रोगाणुओं पर काम होता है, जो श्वसन मार्ग के माध्यम से गंभीर व संभावित घातक बीमारी का कारण बन सकते हैं। यहां पर काम काफी खतरनाक होता है, इसलिए बेहद ही सावधानी बरतने की जरूरत होती है। कोरोना जैसे स्तर के वायरस के बारे में जानकारी व उस पर अनुसंधान करने में इस लैब की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। बीएसएल-3 प्रयोगशाला की राज्य शाखाएं एक बार कार्यात्मक हो जाएंगी तो विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले रोगजनकों द्वारा फैलने वाली बीमारियों के लिए तैयारी व प्रतिक्रिया के लिए क्षेत्र की क्षमता में वृद्धि होगी।
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