Umbilical Cord Blood: गर्भनाल रक्त, जिसे अंग्रेजी में “Umbilical Cord Blood” भी कहा जाता है, एक विशेष प्रकार का रक्त होता है जो मात्रा और गुणवत्ता दोनों में बहुत ही अनमोल होता है। यह रक्त नवजात शिशु के नाभि के चारों ओर की जगह से निकलता है, जिसे गर्भनाल के रूप में भी जाना जाता है। गर्भनाल रक्त का मुख्य कार्य शिशु के जीवन की प्रारंभिक आवश्यकताओं को पूरा करना है।
गर्भनाल रक्त का अद्वितीय गुण है जिसमें विभिन्न प्रकार के स्टेम सेल्स, रक्त प्लेटलेट्स, और और रक्त कोशिकाएं होती हैं, जिन्हें गर्भनाल रक्त द्वारा संचित किया जाता है। गर्भनाल रक्त का उपयोग विभिन्न रोगों और बीमारियों के इलाज में किया जा सकता है, जैसे कि कैंसर, खून की कमी, और आईनी बीमारियाँ। इसके साथ ही, इसका उपयोग शिशु की गुणवत्ता जीवन के साथ उनकी पूरी जीवनी में भी किया जा सकता है, जिससे शिशु को विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मदद मिलती है।
उल्लेखनीय है कि गर्भनाल रक्त (Umbilical Cord Blood)वह रक्त है जो आपके बच्चे के जन्म के बाद नाल और गर्भनाल में रहता है। गर्भनाल रक्त स्टेम कोशिकाओं से भरपूर होता है, जिसका उपयोग कई अलग-अलग कैंसर, प्रतिरक्षा कमियों और आनुवंशिक विकारों के इलाज के लिए किया जा सकता है।
क्या आप जानते हैं कि एक बार जब आपके बच्चे का जन्म हो जाता है, तो आमतौर पर आपकी नाल को उसमें मौजूद गर्भनाल रक्त के साथ फेंक दिया जाता है। लेकिन आपको नहीं पता कि इसमें स्टेम कोशिकाएँ शरीर में विशेष ‘बिल्डिंग ब्लॉक’ कोशिकाएँ हैं जो कई अलग-अलग प्रकार की कोशिकाओं में विकसित हो सकती हैं।
रक्त-उत्पादक स्टेम कोशिकाएँ गर्भनाल रक्त (Umbilical Cord Blood) में पाई जाती हैं, और जब जीवन-रक्षक उपचार की आवश्यकता वाले किसी व्यक्ति को गर्भनाल रक्त दान दिया जाता है, तो यह उस प्रकार की रक्त कोशिका में विकसित हो सकती है जिसकी रोगी के शरीर को आवश्यकता होती है। यह लाल रक्त कोशिकाएं, श्वेत रक्त कोशिकाएं या प्लेटलेट्स हो सकती हैं।
आमतौर पर वैसे तो पूरी दुनिया में भी कॉर्ड ब्लड बैंक में स्टेम सेल को सुरक्षित रखने का चलन अभी बहुत कम है लेकिन इसमें धीरे धीरे वृद्धि देखने को मिल रही है। सेल ट्रायल डेटा के आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका में जन्म ले रहे 3 प्रतिशत बच्चों के माता-पिता इसे अपना रहे हैं तो ब्रिटेन में यह 0.3% और फ़्रांस में तो बहुत कम 0.08% है। वहीं भारत में देखा जाए तो इसका चलन 0.4% है।
दुनिया में तेज़ी से बढ़ रही Cord Blood बैंकों की संख्या
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में पब्लिक यूसीबी बैंकों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है, वहीं आईसीएमआर के अम्बलिकल कॉर्ड ब्लड बैंकिंग गाइडलाइन 2023 में बताया गया है कि भारत में एक भी पब्लिक यूसीबी बैंक नहीं हैं। जहां तक भविष्य में इसकी उपयोगिता की बात है तो मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इंडियन सोसाइटी ऑफ़ ब्लड एंड मैरो ट्रांसप्लांट के आंकड़े बताते हैं कि 2012 से 2022 के बीच भारत में केवल 60 कॉर्ड ब्लड ट्रांसप्लांट किए गए।
Umbilical Cord Blood की मदद से ख़ून से संबंधित बीमारियों को ठीक किया
मेडिकल एक्सपर्ट की माने तो Umbilical Cord Blood में मौजूद स्टेम सेल ब्लड की मदद से कई तरह की ख़ून से संबंधित बीमारियों को ठीक किया जा सकता हैं,तथा इसे जानलेवा बीमारियों से पीड़ित रोगियों के इलाज में भी उपयोग किया जा सकता है। इसमें ब्लड कैंसर, बोनमैरो की बीमारी, सिकिल सेल एनीमिया, इम्यून सिस्टम या प्रतिरक्षा प्रणाली की दुर्बलता, मेटाबॉलिज़्म (शरीर में भोजन को एनर्जी में बदलने की प्रक्रिया) से जुड़ी समस्याएं और दुर्लभ आनुवांशिक बीमारियां शामिल हैं।
गर्भनाल ब्लड बैंक में कितना आएगा खर्च?
गर्भनाल ब्लड बैंक ऐसी सुविधा है, जो भविष्य में इस्तेमाल के लिए गर्भनाल रक्त को सुरक्षित करती है। इसके लिए दुनियाभर में निजी और सार्वजनिक दोनों गर्भनाल ब्लड बैंक हैं। सार्वजनिक गर्भनाल रक्त बैंक जरूरतमंदों के लिए उपयोग किए जाने वाले दान को स्वीकार करते हैं। वहीं, प्राइवेट कॉर्ड ब्लड बैंक केवल गर्भनाल दाता या उसके परिवार के संभावित इस्तेमाल के लिए इसे सुरक्षित रखते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका में प्राइवेट कॉर्ड ब्लड बैंक इसके लिए करीब 2,000 डॉलर और भंडारण के लिए करीब 200 डॉलर सालाना का शुल्क लेते हैं। वहीं, भारत में इसके लिए 56,500 रुपये से 5,53,000 रुपये तक वसूले जाते हैं।