प्रजासत्ता|
अपने बुरे ‘ग्रह दोष’ के निवारण के लिए धार्मिक मान्यताओं के आधार पर अक्सर लोगों को सड़क या रास्तों के किनारे चींटियों के लिए आटा या अनाज डालते देखा होगा। इन अनाज के दानों से चीटियाँ तो अपना पेट भर लेती है लेकिन कभी किसी इंसान को सड़क किनारे चींटियों के लिए डाले गए अनाज के दाने उठाकर खाते हुए देखा नही होगा। लेकिन आज हम आपको इन तस्वीरों के माध्यम से वह दिल को विचलित करने वाली घटना को दिखाना चाहते हैं|
यह तस्वीर देवभूमि हिमाचल के जिला ऊना के मुबारकपुर क्षेत्र की है| जिसे ऊना जिला के एक वरिष्ठ पत्रकार के सोशल मीडिया पर अकाउंट पर साँझा किया गया है| तस्वीरों को शेयर करते हुए अविनाश विद्रोही ने लिखा है कि ” मालूम है ये इंसान क्या कर रहा है ?
जो लोग अपने ग्रह टालने के लिए सात अनाज चींटियों के घर पर डालकर आते है ये उसे उठा कर खा रहा है । जी बिल्कुल ठीक पढा आपने इंसान की भूख है यही पापी पेट के जुगाड़ में इंसान सारा दिन घूमता है और आपको लगता है कि आपको भगवान ने कुछ नही दिया । इस इंसान को देखों और अपनी तकदीर के लिए भगवान का शुक्रिया अदा करो । ये बन्दा मानसिक रोगी है और मुबारकपुर में ये विकास कुमार ननु को चींटियों के घर से अनाज उठाकर खाता हुआ मिला। इस हालत को देखकर विकास के आंसू निकल गए । उसने तुंरन्त इसे उठाया और इसके खाने का इंतज़ाम किया । खाना खिलाया कुछ पैसे दिए और कुछ भोजन भी साथ मे दिया । बन्दा शायद मानसिक रोगी है अब ये शोध का विषय जरूर है कि मानसिक रोगी हम है या ये इंसान लेकिन भूख सबको लगती है फिर चाहे वो कोई मानसिक रोगी हो या फिर किसी उच्च पद पर बेठा कोई अधिकारी “
सचमुच यह तस्वीरें दिल पिघला देने वाली है| पहले लोग इस तरह के लोगों की मदद भी कर देते थे लेकिन लॉकडाउन से लोगों के आर्थिक हालत और गंभीर होते जा रहे है जो खुद किसी तरह से भोजन का इंतजाम करने में अक्षम हैं। पहले कोई न कोई बाहर निकलकर इन लोगों को खाना आदि दे देता था, मगर लॉकडाउन के कारण मूवमेंट घट जाने से मानसिक रूप से अस्वस्थ और बेसहारा लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
लॉकडाउन से एक तरफ जहाँ गरीबाें को भूखे मरने की नौबत आ गई है। वहीँ बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते लोगों को लॉकडाउन बढ़ने का खौफ भी है। ऐसे हालातों में इस तरह के लोगों को भूखे ही रहना पड़ रहा है| इनकी यह दिल को विचलित करने वाली तस्वीर तो कैमरा में कैद हो गई लेकिन न जाने ऐसे कितने लोग देवभूमि में जिन्हें रोज इस तरह के हालातों से रूबरू होना पड़ता है|