
शादी में शामिल लोगों को एकाएक उन पलों की याद दिला रहा था, जिसमें ऐसे लग रहा था कि किसी हिंदी फिल्म में चार कहारों द्वारा उठाई डोली को दूल्हे राजा के द्वार छोड़ने जा रहे हों और जिन बुजुर्गों ने अपनी आंखों से ऐसी विदाई काफी वर्ष पहले देखी थी उन्हें भी यह पल उनको पुरानी यादों का स्मरण करा रहा था। और आज की पीढ़ी के साथ लोग इस दृश्य को परिवार सहित प्रत्यक्ष देख रहे थे।पुनिका की डोली को उसके चार भाइयों में अजय भारद्वाज, सिद्धार्थ भारद्वाज, कनिष्क गौतम व आदित्य शर्मा ने कंधों पर उठाया। वहीं, बेटी की विदाई पर घर में बिताए पलों को स्वजन याद कर नम आंखों के साथ गले लगाकर विदाई दे रहे थे। शादी में भारतीय संस्कृति एवं परम्परा का मेल देखते ही बन रहा था। जिस डोली को आज की पीढ़ी भूल चुकी थी उसे देखकर आजकल के युवाओं को भी प्रेरित कर रहा था।
विवाह समारोह में परिवार द्वारा लोक संस्कृति से जुड़ी जागो निकाल कर मंगल गीत गाए गए। और पुनिका की शादी जयपुर निवासी रक्षित से हुई है। शादी में आस पड़ोस सहित रिश्तेदारों ने शामिल होकर बेटी को विदाई दी। इस शादी ने पूरे क्षेत्र में पौराणिक भारतीय संस्कृति का संदेश भी दिया।
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