यह मंदिर काठियावाड़ जिले में वेरावल के पास गुजरात में स्थित है। पुराणों के अनुसार यहां पर चंद्रमा ने अपनी चमक वापस पाने के लिए प्रभु शंकर जी की कठोर तपस्या की थी। तभी से इस ज्योतिर्लिंग का नाम सोमनाथ पड़ गया।
यह मंदिर तमिलनाडु में रामेश्वर जी उपस्थित है। समुद्र से गिरे हुए इस मंदिर का गलियारा भारत के सभी मंदिरों में सबसे लंबा है। भगवान श्री राम जी के द्वारा स्थापित होने के कारण इस ज्योतिर्लिंग को भगवान राम का नाम रामेश्वरम दिया गया है।
यह मंदिर आंध्र प्रदेश में श्री शैल पर्वत पर स्थित है मल्लिका माता पार्वती जी का नाम है जबकि अर्जुन प्रभु शंकर जी को कहा जाता है इस प्रकार सम्मिलित रूप में यह ज्योतिर्लिंग मल्लिकार्जुन नाम से प्रसिद्ध हुआ है।
यह मंदिर गुजरात बड़ोदरा क्षेत्र में गोमती द्वारका के करीब स्थित है। दारूका नामक एक राक्षस का वध कर अपने भक्तों को बचाने के लिए एक स्वयंभू शिवलिंग यहां प्रकट हुए। वहीं से ज्योतिर्लिंग का नाम नागेश्वर पड़ गया।
झारखंड के देवघर में स्थित यह मंदिर भारत के 21 शक्तिपीठों में से एक है। माना जाता है कि एक बार घायल रावण का इलाज करने के लिए भगवान शिव जी ने वैद्य की भूमिका निभाई थी इसी कारण भगवान शिव जी के इस ज्योतिर्लिंग को नाम वैद्यनाथ कहा जाता है।
पुणे महाराष्ट्र के सह्यद्री नामक पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर नाम की उत्पत्ति भीमा नदी से हुई थी जो भगवान शिव और दानव त्रिपुरासुर के युद्ध के कारण उत्पन्न हुई थी। तभी से इस ज्योतिर्लिंग का नाम भीमाशंकर पड़ गया।
यह मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में घने महाकाल जंगल में शिप्रा नदी के तट पर स्थित है। महाकाल शब्द, दो शब्दों महा (भगवान शिव का गुण) और काल (समय) से मिलकर बना है। भगवान शिव का गुण काल से भी बड़ा माना जाता है। महाकाल से ही इस ज्योतिर्लिंग का नाम महाकालेश्वर पड़ा है।
यह मंदिर मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी के शिवपुरी नामक दूरी पर स्थित है। यह मंदिर उत्कीर्ण ग्रेनाइट पत्थर से बने बड़े स्तंभों पर बना हुआ है। यहां पर पहाड़ों के चारों और नदी बहने से ओम का आकार बनता है। इसलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम ओंकारेश्वर पड़ा है।
पूजनीय स्थल काशी (वाराणसी) में स्थित इस मंदिर की मीनारों पर सोने की परत चढ़ी हुई है। जिसके ऊपर एक सुनहरी छतरी है। मान्यता है कि यहां पर भगवान शिव विश्वनाथ अर्थात ब्रह्मांड के स्वामी के रूप में वास करते हैं। तभी से इस ज्योतिर्लिंग का नाम काशी विश्वनाथ पड़ गया है।
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर
नासिक जिले में त्रयंबक नगर में स्थित इस ज्योतिर्लिंग पर हर 12 साल में कुंभ के मेले का आयोजन किया जाता है। ज्योतिर्लिंग के तीन मुख्य जो देवताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं-शिव विष्णु और ब्रह्मा । वह सभी शिवलिंग के भीतर खोखले स्थान में मौजूद हैं। इसलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम त्र्यंबकेश्वर पड़ा
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर
यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से ऊंचे स्तर पर (11755 फीट ऊंचाई) पर स्थित है। माना जाता है कि यह मंदिर 3000 साल पुराना है। राजा केदार और केदारखंड के रक्षक के रूप में यहां भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग प्रकट होने के कारण यह ज्योतिर्लिंग केदारनाथ नाम से प्रसिद्ध हुआ।
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर
औरंगाबाद महाराष्ट्र के वेरुल नामक गांव में स्थित यह मंदिर (240 x185} फिट का सबसे छोटा ज्योतिर्लिंग मंदिर है। शिव को समर्पित एक वृद्ध ने उनसे उस क्षेत्र में रहने का अनुरोध किया था। भगवान शिव बुढ़िया घृष्णा के अनुरोध पर उस स्थान पर रुके थे और इस ज्योतिर्लिंग का नाम गिरी गिरी घृष्णेश्वर पड़ गया।
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर